बेटी बचाओ का नारा सरकार का ढकोसला
इस मामले ने छत्तीसगढ़ सरकार की पोल खोलकर रख दी है. लैंगिक उत्पीड़न जैसे मामले में आरोपी आईपीएस पर कोई कार्रवाई नहीं होना राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है. इस मामले में न किसी कानून का पालन किया जा रहा है और न तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलान का.
30 जून 2016 को मुंगेली जिले की एक महिला कॉन्स्टेबल ने आईजी पवन देव पर फ़ोन पर अश्लील बात करने और दबाव पूर्वक अपने बंगले बुलाने का आरोप लगा कर शिकायत की थी. इसके बाद राज्य सरकार ने IAS रेणु पिल्लै की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय आंतरिक शिकायत समिति गठित की थी. 4 जुलाई 2016 को समिति ने जांच कर अपनी रिपोर्ट 2 दिसम्बर 2016 को डीजीपी को सौंप दी. समिति ने जांच में मुंगेली की महिला कॉन्स्टेबल द्वारा बिलासपुर के तत्कालीन आईजी पवन देव पर लगाए गए लैंगिक उत्पीड़न के आरोप को सही पाया था. महिला कॉन्स्टेबल द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार पर पवन देव पर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई थी और इसके लिए डीजीपी को ज्ञापन भेजा गया था. साथ ही ये हाई प्रोफ़ाइल मामला प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग तक भी पहुंचा.
ये है जांच रिपोर्ट में
जांच समिति द्वारा डीजीपी को सौंपी गई रिपोर्ट में महिला कॉन्स्टेबल की शिकायत को सही बताते हुए पवन देव पर लैंगिक प्रताड़ना के आरोपों को सही पाया.
कानून के मुताबिक
महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध, प्रतितोष ) अधिनियम 2013 के अनुसार शिकायत की जांच अनिवार्य रूप से 90 दिवस के अंदर करनी होगी. इस अधिनियम की धारा 13 ( 4 ) में प्रावधान है कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर विभाग प्रमुख को आरोपी व्यक्ति पर कार्रवाई करनी होगी.
पीड़िता के मुताबिक
जांच रिपोर्ट आने के बाद पीड़िता ने बार-बार ज्ञापन दिया था और पवन देव पर कार्रवाई की मांग की थी. शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने के लिए लालच और धमकी देने का आरोप भी पीड़िता ने लगाया था. इस मामले की भी शिकायत हुई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.