अक्सर पुलिस थाने में लोग अपनी फरियाद लेकर पहुँचते हैं, लेकिन बालोद जिले में एक ऐसा थाना भी है, जहां फरियादी से ज्यादा आम लोग थाना को निहारने व मनोरंजन करने पहुचते हैं…
लक्ष्मीकांत बंसोड़, बालोद। तस्वीर को देखकर किसी ढाबे रेस्टोरेंट या कार्डन जैसा आपको लग रहा होगा, तो आपको बतला दे यह ढाबा, रेस्टोरेंट या गार्डन नहीं बल्कि एक थाना का नजारा है. दरअसल, छत्तीसगढ़ बालोद जिले के अंतिम छोर अति संवेदनशील क्षेत्र थाना मंगचुवा राजनांदगांव जिले की सीमा क्षेत्र से लगा हुआ है. इसे भी पढ़ें : CG में शीतलहर के हालात, मैनपाट में जमे बर्फ : 6-7 डिग्री पहुंचा तापमान, रायपुर में भी 4 डिग्री गिरा पारा, जानिए आने वाले दिनों में कैसा रहेगा मौसम…
थाने के अंतर्गत 32 गांव आते हैं, जो पूरी तरह ग्रामीण परिवेश है. लोग पहले थाना में आने से हिचकते थे, लेकिन जब से उप निरीक्षक दिलीप नाग थाने की कमान सम्हाली, तब से थाना का स्वरूप ऐसा बदला कि लोगों का नजरिया ही बदल गया. अब लोग अपनी शिकायत फरियाद के साथ यहां सैर-सपाटा करने भी पहुंचते हैं. उप निरीक्षक की कार्यशैली की जहां ग्रामीण सराहना कर रहे हैं, वहीं पुलिस अधीक्षक भी उसके कार्य को देख प्रशंसा करने से अपने आप को रोक नहीं पा रहे.
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दिसम्बर 2019 से पहले श्मशान घाट हुआ करता था. इस जगह पर एक नवनिर्मित थाना भवन बस था. इसी समय उप निरीक्षक दिलीप नाग ने थाने की कमान संभाला. इसके बाद पुराने थाने में संचालित थाने की कामकाज को नए थाना भवन में शिफ्ट कर थाना और परिसर को कुछ अलग बनाने का फैसला लेते हुए इस दिशा में काम शुरू किया.
दिलीप नाग के प्रयास, स्टाफ की मदद और ग्रामीणों की सहयोग से यहां गार्डन है, जहां रंगबिरंगे फूल, शो पीस पौधे के साथ आम, जाम, जामुन, आंवला, चीकू, सहित छायादार पौधे लगे हुए हैं. यही नहीं छोटा तालाब भी बनाया, जिसमें बतख के अलावा मछली भी नजर आते हैं. तालाब किनारे एक शिव मंदिर व तुलसी चौरा स्थपित है, जहां प्रतिदिन सुबह-शाम लोग माथा टेकने पहुंचते हैं.
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कुछ सालों में दिलीप नाग ने थाने का स्वरूप ही बदल दिया है. अब भले ही उनका स्थानांतरण कहीं दूसरे थाने में हो जाए, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी है कि वह बालोद जिले के अंतिम छोर में जंगलों से घिरे गांव और आसपास के लोगों के लिए कुछ अच्छा किया है. वे कहते हैं जिस जगह पर भी रहें, उसे खूबसूरत रखने का प्रयास करना चाहिए. थाना एक ऐसी जगह होती है, जहां लोग आने पर हिचकते हैं. इस छवि को खत्म कर ग्रामीणों से अच्छे वातावरण में बेहतर संवाद करने का प्रयास किया गया है.
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