पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। होली मनाने के कई तरीके व किस्से आपने सुना होगा, लेकिन समाज को एकता का संदेश, गौपालन के महत्व व प्रकृति के प्रति आस्था जगाने के लिए होली खेला जाता हो ऐसा न देखा होगा न सुना होगा. चलिए हम बताते है बेरंग राख के तिलक से खेले जाने वाले होली में वास्तविक जीवन के लिए प्रेरणा व सीख के रंग घोल कर यह अनूठी होली मनाई जाती है.

औषधीय गुण से भरी बेरंग राख की तिलक लगाकर होली खेलने के इस अनूठे आयोजन के पहले जीवन में वास्तविक रंग घोलने सामाजिक समरसता के साथ ही धार्मिक आयोजन की अनूठी परपंरा की रस्म निभाई जाती है. बाबा उदयनाथ के अंनत महिमा गौशाला में होने वाले आयोजन में 100 गांव में मौजूद 7 हजार से भी ज्यादा अनुयायी जुटते हैं. होलिका दहन के 10 दिन पहले गौमाता भ्रमण व गौ स्वागत पूजन के साथ पर्व शुरू होता है.

मैनपुर विकासखण्ड के कांडसर ग्राम में घने वनों के बीच मौजूद अनन्त महिमा सागर गौ शाला गौ वंश की सुरक्षा व सवर्धन के उद्देश्य से जनवरी 2005 में बाबा उदयनाथ द्वारा इस गौ शाला की स्थापना की गई थी. शुरू से ही भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र के अभिन्न अंग माने जाने वाले गौ के प्रति आस्था जागृत करने व गो पालन के महत्व को बताने इस गौशाला में विभिन्न आयोजन किये जाते रहे हैं. लेकिन 2015 से फाल्गुन मास में होली के परम्परा से आयोजनों को जोड़कर गौ महत्व के साथ होलिका पर्व मनाने की परंपरा की शुरुआत की गई.

गौ में 33 कोटि देवता समाहित

इसके पीछे उद्देश्य के बारे में बाबा उदय नाथ कहते है कि पवित्र फाल्गुन मास में गोवर्धन के प्रतीक भगवान कृष्ण के जीवन चरित्र बिना गौ का वर्णन अधूरा है. वक्त बदलने के साथ होली में पश्चिमी सभ्यता प्रवेश कर गया, राधे-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक इस पर्व में उन्हें जीवंत बनाने गौ वंश की पूजा-अर्चना व महत्व को बतलाया जाता है, पर्व में शामिल होने गौ स्वागत का आयोजन कर हम उनमें समाहित 33 कोटि देवता का स्वागत करते हैं, जिनका सात्विक प्रभाव जनकल्याण में पड़ता है.

गौमाता के साथ करते हैं भ्रमण

बाबा आश्रम के सक्रिय सदस्य व कांडसर के पूर्व सरपंच यशवंत मरकाम बताते हैं कि होलिका दहन के 10 दिन पहले ही 2 या 3 गौमाता की साज-सज्ज्जा कर आसपास के इलाके में भ्रमण के लिए भेजा जाता है, उनके साथ बाबा के अनुयायियों की टोली होती है, जो 5 दिनों तक चयनित ग्राम का भ्रमण करती है. उनके साथ में पंचगब्य से निर्मित दवाएं होती हैं. जरूरतमंद लोगों को दवा देते हैं. गौ पालन के महत्व के साथ उन्हें प्रेरित कर गौ स्वागत संघ होलिका पर्व का न्योता भी देते हैं.

राख से मनाई जाती है होली

होलिका दहन के ठीक 4 दिन पहले गौ का कांडसर के बस्ती में आगमन होता है. गौ स्वागत व कलश यात्रा के साथ ही गौ यज्ञ का आयोजन होता है, जिसमें होलिका दहन तक यानी तीन दिवस औषधिय गुण वाले लकड़ी व गोबर के बने कंडे के साथ यज्ञ शूरु होता है. होलिका दहन के दिन पूर्णाहूति होती है, और अगले दिन इसी कुंड के राख का तिलक लगा कर सात्विक होली मनाई जाती है. यह परंपरा 2015 से चली आ रही है.

गौपाद से रोगमुक्ति की हुई कोशिश

इस वर्ष 25 मार्च को यह स्वागत समारोह हुआ. ग्राम से गौशाला तक लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर पड़ने वाले रास्ते मे नए सफेद कपड़े बिछाए गए. इसी पर चल कर गौ आश्रम प्रवेश किया. ग्राम भ्रमण कर लौटे गौ के स्वागत में जगह-जगह भक्त खड़े दिखे. पूजा अर्चना व जयकारे से स्वागत हुआ. मान्यता है कि इस स्वागत के दरम्यान गौ के मार्ग पर पेट के भार लेट कर गौ पाद को भक्त अपने पीठ पर लेते हैं. मान्यता है कि ऐसे करने से भगवान गोवर्धन की कृपा बनी रहने के साथ साथ शारिरिक कष्ट भी दूर होते हैं.

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गिलहरी को बनाया गया आयोजन का मुख्यातिथि

इस पूरे आयोजन को वार्षिक महिमा मेला का नाम दिया गया है. बाबा उदय नाथ गौ वंश की रक्षा के अलावा अन्य जीवों व पर्यावरण को बचाने की भी मुहिम चलाये हुए हैं, इसलिये आयोजन में मुख्यातिथि भी जीव व पेड़ों को रखा जाता है. इस बार के आयोजन में गिलहरी मुख्यतिथि, इसके पूर्व पेड़, मछली, चूहा, सर्प जैसे जंतु को प्रतीकात्मक तौर पर अतिथि बनाकर उनके प्रति आस्था जागृत करने की कोशिश हुई है. आश्रम से शाकाहार, सात्विक जीवन शैली जीने व नशा ब्यसन से दूर रहने की प्रेरणा दी जाती है. बाबा के इस सकारात्मक पहल का ही नतीजा है कि आज इनके 7000 अनुयायी व उनके परिवार सात्विक जीवन जी रहे है.

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प्रतिबन्ध के चलते इस बार भीड़ नहीं

बाबा उदय नाथ अनन्त महिमा (प्रबुद्ध ) के मानने वाले हैं।गरियाबन्द व धमतरी जिले के लगभग 100 गाँव मे 7 हजार अनुयायी व 15000 सदस्य हैं. 25 को आयोजन शुरू हुआ,पर 26 को जिले में धारा 144 लागू होने के कारण आयोजन में भीड़ नही जुटी. स्थानीय लोग नियमों का पालन करते हुए परम्परा को निभा रहे हैं. बाबा के आश्रम में ही विभिन्न समुदाय के 400 सदस्य है, जो जड़ी-बूटी व पँचगब्य से औषधि निर्माण के अलावा गौशाला में मौजूद 300 गायों की सेवा करते हैं. इन्ही के साथ ही इस बार राख से तिलक होली मनाई जाएगी.