उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार के दौरान महापुरुषों के नाम पर बने स्मारकों और पार्कों के निर्माण में कथित घोटाले की जांच में पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह सहयोग नहीं कर रहे हैं. उन्हें विजिलेंस ने पूछताछ के लिए दो बार बुलाया गया, लेकिन वे दोनों बार पेश नहीं हुए. 18 नवंबर को भी उन्हें पेश होने के लिए तलब किया गया था, लेकिन बीमारी का बहाना बनाकर वे जांच के लिए फिर पेश नहीं हुए.

विजिलेंस अधिकारियों का मानना है कि मोहिंदर सिंह जानबूझकर जांच से भागने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने तीन बार पेश होना पड़ा है. अब विजिलेंस ने उन्हें एक और नोटिस भेजने का फैसला लिया है. अबकी बार यदि वे फिर से उपस्थित नहीं हुए तो उनकी भूमिका पर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए विधिक राय ली जाएगी.

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मोहिंदर सिंह का बयान बाकी

गौरतलब है कि इस घोटाले से संबंधित हाई पावर कमेटी में मोहिंदर सिंह का महत्वपूर्ण स्थान था. नसीमुद्दीन सिद्दीकी, जो मायावती के करीबी सहयोगी माने जाते थे, उनके साथ मिलकर उन्होंने स्मारकों के निर्माण में नीतिगत निर्णयों को प्रभावित किया था. इस प्रकरण में अब तक मोहिंदर सिंह का बयान दर्ज किया जाना बाकी है. और यदि वे बयान नहीं देते हैं, तो विजिलेंस अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए नए कदम उठा सकती है.