कानपुर. बेहमई हत्याकांड की सुनवाई, जिसमें 14 फरवरी, 1981 को डाकू रानी से राजनेता बनी फूलन देवी द्वारा कथित तौर पर 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, एक विशेष कानपुर देहात की अदालत में फिर से शुरू हुई है. यह याद किया जा सकता है कि जनवरी 2020 में मामले में फैसला सुनाए जाने से ठीक पहले, सुनवाई स्थगित कर दी गई थी क्योंकि मूल केस डायरी गायब पाई गई थी.

वादी राजाराम सिंह और चश्मदीद जंतर सिंह समेत तमाम गवाहों के साथ फूलन समेत कई आरोपियों की मौत हो चुकी है. करीब 30 साल से फरार चल रहे विश्वनाथ, मानसिंह और राम रतन के खिलाफ वारंट जारी होने के बाद भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई है. विशेष न्यायाधीश (डकैती) सुधाकर राय की अदालत में बुधवार को मामले में बहस शुरू होते ही जिला सरकार के वकील राजू पोरवाल ने अदालत को बताया कि पुलिस ने मरजाद सिंह के घर की छत से 27 कारतूस और डकैतों द्वारा छोड़े गए कई धमकी भरे पत्र बरामद किए हैं.

पोरवाल ने यह भी कहा कि डकैतों ने 27 लोगों को कतार में खड़ा करते हुए उन पर हमला किया और गोलियां चलाईं, जिसमें 20 की मौके पर ही मौत हो गई. सात घायलों ने लाशों के बीच छिपकर अपनी जान बचाई थी. सुनवाई के दौरान एक आरोपी विश्वनाथ कोर्ट में मौजूद था, जबकि एक अन्य आरोपी पोसा जेल से नहीं आ सका. कोर्ट में आरोपी श्याम बाबू से माफी मांगने की अर्जी दी गई. सुनवाई की अगली तारीख 28 फरवरी तय की गई है.