लखनऊ. उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम मायावती की बहुजन समाज पार्टी को भगवान राम के बाद अब श्रीकृष्ण की याद सताने लगी है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मायावती की पार्टी यूपी में इन दिनों ब्राह्मण सम्मेलन कर रही है. इस सम्मेलन के पहले चरण के आयोजन की शुरुआत जहां भगवान राम की नगरी अयोध्या से की गई थी तो वहीं दूसरे चरण का आगाज अब भगवान कृष्ण की नगरी वृंदावन से किये जाने का एलान किया गया है. कान्हा की नगरी वृन्दावन से दूसरे चरण के ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन एक अगस्त से शुरू होगा. मायावती के इस कदम को 2007 में अपनाए गए सोशल इंजीनियरिंग के उनके फॉर्मूले को दोहराने के तौर पर देखा जा सकता है. इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि यूपी में कुछ महीने बाद होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में भी भगवान और धर्म व जातियों को फोकस करके ही वोट मांगे जाएंगे.

बहुजन समाज पार्टी ने आज संगम नगरी प्रयागराज में ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन कर बुद्धिजीवी कहे जाने वाले इस तबके को अपनी पार्टी से जोड़ने की कोशिश की. इस मौके पर राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने सम्मेलन के दूसरे चरण के कार्यक्रमों का भी एलान किया. उन्होंने बताया कि दूसरे चरण के सम्मेलन की शुरुआत एक अगस्त को भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा के वृंदावन से की जाएगी. सम्मेलन में शामिल होने से पहले सतीश मिश्र समेत दूसरे नेता बांके बिहारी मंदिर में कान्हा के दर्शन कर उनकी पूजा अर्चना भी करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और सपा की सरकारों ने भगवान कृष्ण की नगरी वृंदावन और मथुरा के विकास के लिए कुछ नहीं किया और हमेशा उपेक्षा की, जबकि बीएसपी की सरकारों में भगवान कृष्ण से जुड़े स्थलों का जमकर विकास किया गया. उनके मुताबिक वृंदावन से शुरू हो रहे दूसरे चरण के ब्राह्मण सम्मेलनों को मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में ही किया जाएगा. हालांकि बड़ा सवाल यह है कि सतीश मिश्र समेत पार्टी के दूसरे नेताओं को भगवान राम और कृष्ण के दरबार में भेजने वाली मायावती क्या खुद भी वहां माथा टेकने जाएंगी.

बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन से बीजेपी बौखला गई है – सतीश चंद्र मिश्रा

प्रयागराज में हुए ब्राह्मण सम्मेलन में सतीश चंद्र मिश्रा ने बीजेपी के साथ ही समाजवादी पार्टी पर भी जमकर निशाना साधा और दोनों को ब्राह्मण विरोधी करार दिया. उन्होंने कहा कि बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन से भारतीय जनता पार्टी बौखला गई है और साथ ही हमेशा इस तबके का शोषण व उत्पीड़न करने वाले समाजवादी पार्टी को भी अब ब्राह्मणों की याद सताने लगी है. उनके मुताबिक़ समाजवादी पार्टी का ब्राह्मण प्रेम महज दिखावा है, क्योंकि उसकी अपनी सरकारों में ब्राह्मण समाज हमेशा निशाने पर रहता था.

प्रयागराज में शहर से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर सैदाबाद इलाके में हुए ब्राह्मण सम्मेलन में सतीश चंद्र मिश्रा ने जहां एक तरफ कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के बहाने यूपी सरकार पर निशाना साधा तो वहीं यह सनसनीखेज आरोप भी लगाया की बिकरू मामले में सीएम ऑफिस के दखल और दबाव पर ही ब्राह्मण तबके को जानबूझकर निशाना बनाया गया था. साजिशन गाड़ी पलटवाकर एनकाउंटर कराया गया. उन्होंने एक बार फिर से खुशी दुबे के नाबालिग व बेगुनाह होने की दुहाई दी और आरोप लगाया कि सरकार ने गलत पैरवी करा कर और झूठे हलफनामे बनवा कर इलाहाबाद हाईकोर्ट से खुशी दुबे की जमानत नहीं होने दी. सतीश मिश्रा ने इस मौके पर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद को भी आड़े हाथों लिया और कहा विपक्ष में रहते हुए वह भी ब्राह्मणों के उत्पीड़न का आरोप लगाते थे, लेकिन अब खुद उत्पीड़न करने वालों की गोद में जा बैठे हैं.

सतीश मिश्रा का किया गया जोरदार स्वागत 

सतीश मिश्रा ने इस सम्मेलन में अपनी पार्टी बीएसपी व उसकी मुखिया मायावती को ब्राह्मणों का सबसे बड़ा हमदर्द बताने की कोशिश की और यह भरोसा दिलाया कि अगर बीएसपी सत्ता में आती है ब्राह्मण समाज को न सिर्फ सम्मानजनक हिस्सेदारी दी जाएगी बल्कि उसके सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा भी की जाएगी. उन्होंने अयोध्या में भगवान राम के निर्माणाधीन मंदिर और मां सीता के बहाने भी बीजेपी को आड़े हाथों लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि भगवान राम के नाम पर वोट मांगने वाली बीजेपी मां सीता का नाम लेने से परहेज करती है. हालांकि उन्होंने यह सफाई भी दी कि ब्राह्मणों का सम्मेलन करने वाली बहुजन समाज पार्टी सिर्फ ब्राह्मणों या दलितों ही नहीं बल्कि सर्व समाज की पार्टी है.

प्रयागराज के ब्राह्मण सम्मेलन में पहुंचने पर सतीश मिश्रा का जोरदार स्वागत किया गया. उन्हें फूलों की माला पहनाई गई तो साथ ही ब्राह्मण समाज के अगुआ रहे भगवान परशुराम की मूर्ति भी भेंट की गई. वेद मंत्रों के जरिए उनका अभिनंदन किया गया तो साथ ही स्थानीय स्तर के कुछ लोगों को बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता भी दिलाई गई. हालांकि किसी बड़े ब्राह्मण चेहरे को इस सम्मेलन में बीएसपी की सदस्यता ना दिला पाना पार्टी के लिए नाकामी भरा रहा.