लखनऊ. भाजपा ने जलशक्ति मंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को विधान परिषद का नेता सदन बनाकर अपने पिछड़ा कार्ड को मजबूती दी है. स्वतंत्र देव पूर्वांचल के मीरजापुर के मूल निवासी हैं, लेकिन उनकी कर्मभूमि बुंदेलखंड रही. इस ताजपोशी से भाजपा ने पिछड़े वर्ग के साथ ही राज्य के दो अंचलों को संदेश दिया है.

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान बेहद सक्रिय रहे स्वतंत्र देव सिंह के पास संगठन के साथ सरकार चलाने का अनुभव है. स्वतंत्रदेव सिंह मुख्यमंत्री के खास हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता हैं. दोनों ही सदन में भाजपा के पास बहुमत है और भाजपा 23 मई से शुरू होने वाले विधान मंडल के बजट सत्र में विपक्ष पर हर स्तर को मात देने की तैयारी में है. वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार विपक्ष ने पिछड़े वोटों की गोलबंदी की थी. उससे भाजपा को कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा है. अब आने वाले लोकसभा चुनाव में ऐसा न हो इसे देखते हुए पार्टी ने पिछड़े कार्ड को मजबूती दी है. कुर्मी वोट भाजपा के खाते से कटे भी हैं इससे देखते हुए भी भाजपा ने यह कार्ड खेलने का प्रयास किया है. हालांकि पार्टी में पिछड़े वर्ग के बहुत सारे नेताओं को बड़े पदों पर शीर्ष पदों से नवाजा है.

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सिंह ने अपनी राजनीति की शुरूआत छात्र संघ चुनाव से की थी. स्वतंत्रदेव सिंह को 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में उन्हें संगठन मंत्री बनाया गया. वह 1991 में भाजपा युवा मोर्चा कानपुर और 1994 में बुंदेलखंड युवा मोर्चा के प्रभारी बने. उन्हें 1996 व 1998 में भाजपा युवा मोर्चा का महामंत्री और 2001 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. 2004 में उन्हें विधान परिषद में जाने का अवसर मिला. फिर वह भाजपा के कई बार प्रदेश महामंत्री बने. उन्हें 2010 में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया. 2012 के विधानसभा चुनाव के मैदान में तो स्वतंत्र देव उतरे लेकिन हार गए. भाजपा सरकार बनने के बाद उनको स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई. बाद में विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए.