विक्रम मिश्र, लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी को अब लोग चुनावी हाशिये पर जाने वाली पार्टी मान चुके हैं. कभी सियासत में संतुलन और सम्मानजनक स्थिति पर काबिज रहने वाली बसपा अब चुनावी पैमाने के कॉकटेल से बाहर हो गई है. जिसको लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के कारणों की समीक्षा के लिए 30 दिसंबर को पार्टी कार्यालय में अहम बैठक बुलाई है. बैठक में प्रदेश पदाधिकारियों के साथ मंडल कोआर्डिनेटरों, बसपा के साथ उनकी विंग बामसेफ के पदाधिकारियों को बुलाया गया है.
खिसकते जनाधार पर खास नज़र
इस बैठक में पार्टी के खिसकते जनाधार को बढ़ाने के साथ ही बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने और संगठन विस्तार पर चर्चा होगी.
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सबसे बुरे दौर से गुजर रही बसपा
किसी दौर में सियासत के केंद्र में रही बसपा और उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनाने वाली बहुजन समाज पार्टी फिलवक्त बुरे दौर से गुजर रही है. बसपा यूपी में हुए उप चुनाव में सभी 9 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन ज़्यादातर जगहों पर बसपा प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है. उत्तर प्रदेश में तो बसपा से बेहतर प्रदर्शन चंद्र शेखर रावण की आजाद समाज पार्टी ने किया.
उपचुनाव में हार के बाद किया था नहीं लड़ने का ऐलान
बसपा सुप्रीमो मायावती ने उपचुनाव के तुरंत बाद ही भविष्य में कोई भी उपचुनाव न लड़ने का एलान कर दिया, जबकि बसपा चीफ ने यूपी के अधिकतर मंडलों के कोआर्डिनेटरों को भी बदल दिया है.
30 नवम्बर को बड़ा संदेश देंगी माया
बसपा सुप्रीमो ने 30 नवम्बर को बसपा हेडक्वाटर में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है. इसमें भविष्य की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. यह भी माना जा रहा है कि कुछ बड़े नेताओं की जिम्मेदारियां भी बदली जा सकती हैं, और निष्क्रिय नेताओ पर कार्रवाई रूपी तलवार भी चल सकती है.
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