सरकार ने दहेज को रोकने का बेड़ा उठाया है. दहेज लेने और देने पर रोक लगाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है. अब सरकारी कर्मचारी दहेज नहीं ले सकेंगे. इसके लिए उन्हें बकायदा नियुक्त अधिकारी को घोषणा पत्र देना होगा. ये नियम 31 अप्रैल, 2004 के बाद विवाहित उन सभी सरकारी सेवकों पर लागू होगा जो सरकार से वेतन उठाते हैं. अब सभी सरकारी कर्मचारियों को घोषणा करनी होगी कि वह शादी में दहेज नहीं लेंगे.

 

योगी सरकार ने दहेज जैसी सामाजिक बुराई को खत्म करने के उद्देश्य से 31 मार्च, 2004 को उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेण नियमावली 2004 प्रथम संशोधन जारी करते हुए नियमावली के नियम-5 में यह व्यवस्था की गई है. इस व्यवस्था के तहत प्रत्येक सरकारी सेवक अपने विवाह के समय यह उल्लेख करते हुए अपने नियुक्ति अधिकारी को स्वहस्क्षारित घोषणा पत्र देना होगा.

विवाह में दहेज न लेने का करना होगा जिक्र

इस घोषणा पत्र में सरकारी कर्मचारी को अपने विवाह में दहेज न लेने का जिक्र करना होगा. यह नियम 31 अप्रैल, 2004 के बाद विवाहित उन सभी सरकारी सेवकों पर लागू होगा. इस संबंध में यूपी महिला कल्याण विभाग ने सभी सरकारी सेवकों को प्रमाण पत्र देने को कहा है. इसके साथ ही सभी विभागों को रिमांडर जारी करते हुए 18 अक्टूबर तक का समय दिया गया है.

1961 में दहेज को लेकर बना कानून

बता दें कि भारत में पहली बार वर्ष 1961 में दहेज को लेकर कानून बना था. इसे अपराध की श्रेणी में डाल दिया गया था, लेकिन यह विडम्बना ही है कि इसके खिलाफ कानून बनने के बाद भी भारत में दहेज प्रथा बंद नहीं हुई. इस अध्ययन में वर्ष 1960 से लेकर 2008 के दौरान यह पाया गया कि 95 प्रतिशत शादियों में दहेज दिया जाता है.