जौनपुर। बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने दो दिवसीय हड़ताल किया. इस दौरान जिला मुख्यालय पर बैंक कर्मियों ने यूबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय और तहसीलों में शाखा के बाहर धरना-प्रदर्शन किया. यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के नेतृत्व में चले हड़ताल के कारण दूसरे दिन भी 19 बैंकों की 350 शाखाओं में कामकाज ठप रहा. दो दिन की हड़ताल में करीब 3.20 अरब के कारोबार प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
एटीएम भी हुए खाली
दूसरे दिन भी काम के लिए बैंकों की शाखाओं में पहुंचे उपभोक्ता वापस हो गए. वहीं लगातार चार दिन से बैंक बंद होने से एटीएम भी पूरी तरह से खाली हो गए हैं.
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नहीं हुआ लेन देन
हड़ताल में राष्ट्रीयकृत व ग्रामीण बैंक दोनों के ही कर्मचारी शामिल हुए. एक दिन के बैंक हड़ताल से जिले भर के सभी बैंकों का करीब 20 करोड़ का क्लीयरिग, 70 करोड़ का आरटीजीएस, 70 करोड़ का नकद लेन-देन नहीं हो सका. माह के दूसरे शनिवार व रविवार को नियमित अवकाश के बाद तीसरे दिन बैंकों में ताला लटकने के कारण व्यवसाइयों व खाता धारकों को परेशानी का सामना पड़ा.
यूपी बैंक इंप्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएन जायसवाल ने कहा कि मौजूदा समय में छह लाख करोड़ एनपीए में से 73 फीसद कारपोरेट घरानों का है. इन्हीं कारपोरेट घरानों को ही निजीकरण के रूप में बैंकों को सुपुर्द करना चाहती है.
बैंक निजीकरण से ग्राहक को होगा नुकसान
एसोसिएशन के मंत्री आरपी सिंह ने कहा कि बैंकों के निजीकरण से ग्राहकों को कई नुकसान है. पहला 146 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति निजी हाथों में जाने का खतरा है. दूसरा न्यूनतम बैंक बैलेंस की सीमा बढ़ाई जाएगी, तीसरा बैंकों के सर्विस जार्च बढ़ेंगे, चैथा बैंकों में रोजगार के अवसर कम होंगे, पांचवा गांव की शाखाएं बंद होंगी, नई शाखाएं नहीं खुलेंगी.