गोरखपुर. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की छात्रा प्रियंका कुमारी की तीन दिन पहले 31 जुलाई को मौत के मामले में गृह विज्ञान के विभागाध्यक्ष और सहयोगी कर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस इस घटना की जांच में जुट गई है. घटना के तीसरे दिन सोमवार को छात्रा का अंतिम संस्कार किया गया. इसके पूर्व परिजन चिकित्सकों की टीम से दोबारा पोस्टमार्टम की मांग पर अड़े हुए थे. जिसे प्रशासन ने खारिज करते हुए पिता के तहरीर के आधार पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष जांच का आश्वासन देते हुए विरोध प्रदर्शन को समाप्त कराया.

बता दें कि गुलरिहा थाना क्षेत्र के शिवपुर साहबाजगंज पोखरा टोला निवासी दलित परिवार के विनोद कुमार की 21 वर्षीय पुत्री प्रियंका गोरखपुर विश्वविद्यालय में बीएससी (गृह विज्ञान) तृतीय वर्ष की छात्रा थी. 31 जुलाई की सुबह नौ बजे से दीक्षा भवन में प्रियंका की परीक्षा थी. सुबह साढ़े दस बजे परीक्षा देकर वह कक्षा से बाहर निकली. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, अंतिम बार उसे विभाग के शौचालय की ओर जाते देखा गया. दोपहर करीब 12 बजे गृह विज्ञान विभाग के शौचालय की तरफ गई कुछ छात्राओं ने स्टोर रूम के पास गैलरी में फंदे से लटकता छात्रा का शव देखकर शोर मचाया. प्रत्यक्षदशियों के मुताबिक प्रियंका का पैर जमीन से सटा हुआ था. गले में फंदा उसके दुपटटे का था. छात्राओं ने ही विभागाध्यक्ष दिव्यारानी को इसकी सूचना दी. विभागाध्यक्ष ने चीफ प्रॉक्टर और कैंट पुलिस को घटना की जानकारी दी. सूचना मिलते ही हड़कंप मच गया.

एसएसआई कैंट प्रवींद राय और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई. टीम को घटनास्थल के पास से एक मेज पर पर्स पड़ा मिला, जिसमें बीएससी (गृह विज्ञान) तृतीय वर्ष का प्रश्न पत्र, आधार कार्ड व मोबाइल नंबर था. आधार कार्ड से पहचान कर घरवालों को सूचना दी गई. विश्वविद्यालय पहुंचे पिता विनोद कुमार ने पुलिस को बताया कि सुबह ही परीक्षा थी, जिसके चलते उनकी बेटी बिना भोजन किए ही परीक्षा देने चली आई थी. सुबह उसके भाई ने ही बाइक से कैंपस के बाहर प्रियंका को छोड़कर लौटा था. घर में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. अचानक हुई इस घटना से परिवार के लोग हतप्रभ हैं. तीन दिन पूर्व ही कैंपस में आयोजित कुकिंग कंपटिशन में प्रियंका ने प्रथम स्थान लाया था. ऐसे में मौत के पीछे डिप्रेशन में आत्महत्या कर लेने की बात को गलत बताते हुए परिजन हत्या का आरोप लगा रहे थे. शनिवार को घटना की रात प्रियंका के शव के पोस्टमार्टम को लेकर परिजनों व मोहल्लेवासियों ने मेडिकल कॉलेज में हंगामा किया था. इसके बाद देर रात डॉक्टरों की टीम गठित कर पोस्टमार्टम कराया गया. दो डॉक्टरों की टीम ने वीडियो रिकॉर्डिंग के बीच पोस्टमार्टम किया. शव को घर लाने के बाद परिजनों और मोहल्लेवासियों ने हत्या की आशंका जाहिर की.

हंगामे की खबर आते ही शाहपुर, पिपराइच व गुलरिहा थाने की पुलिस के अलावा पीएसी बल मौके पर पहुंच गई. रविवार की सुबह नगर विधायक डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल प्रियंका के घर पहुंचे और फिर एसपी सिटी से वार्ता कर वहीं पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मांग कर दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद विधायक ने परिजनों से हत्या की बात बताई. विधायक ने बताया कि सिर पर चोट की बात पोस्टमार्टम में है. पैर भी जमीन से सटे हुए थे तो उसकी सांस कैसे फूल सकती है? आत्महत्या करने वाले के सिर में चोट के निशान नहीं हो सकते हैं. ये निशान कहां से आएंगे. नगर विधायक ने कहा कि पोस्टमार्टम से साफ है कि जिंदा रहते गला घुटने से मौत हुई है. विधायक ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार छात्रा की मौत गला दबाने से हुई है जिसके बाद उसे दुपट्टे से बांधकर लटकाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक छात्रा के सिर के पीछे चोट के निशान थे. छात्रा के हाथ की घड़ी गायब थी. छात्रा के कपड़े धूल से लिपटे हुए थे व बांह के कपड़े फटे हुए थे.

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विधायक के लौटने के बाद परिजन कैंट थाने पहुंच गए और तहरीर देकर हत्या का केस दर्ज करने की मांग की. प्रियंका की मौत के मामले में गृह विज्ञान की अध्यक्ष दिव्यारानी व उनके कर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज होने के बाद भी परिजन पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए दोबारा पोस्टमार्टम की मांग पर करने लगे. परीजनों ने संदेह जताया कि पुलिस विवेचना करेगी तब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर हत्या का केस खारिज हो जाएगा. उसके पिता ने यह भी कहा कि हत्या से परिवार को काफी क्षति हुई है. इसकी क्षतिपूर्ति के लिए परिवार को एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए. पिता ने कहा कि इस घटना में विभाग के बड़े अधिकारियों की संलिप्तता है जिससे सुरक्षा को लेकर भी डर है लिहाजा उन्हें सुरक्षा दी जाए.
मर्माहत छात्रों ने कैंडिल मार्च जलाकर श्रद्धांजलि दी.

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