विक्रम मिश्र, लखनऊ. अपने काम से सभी उत्तर प्रदेशवासियों के दिलो पर राज करने वाले प्रशासनिक अधिकारी सुहास एलवाई (Suhas LY), जो वर्तमान में विशेष सचिव खेलकूद विभाग में तैनात हैं. वो इस विभाग को भी सवारने और युवाओं को ज्यादा मौका देने की योजनाओं को मूर्त रूप दे रहे हैं.

देश के सबसे काबिल आईएस ऑफिसरों में से एक और नोएडा के पूर्व डीएम सुहास एलवाई (Suhas LY) एक बार सुर्खियां बटोर रहे हैं. ऑफिस के कामों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले आईएएस सुहास एलवाई प्ले ग्राउंड पर भी उतने ही सफल हुए हैं. उन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 (Paris Paralympics 2024) में पैराबैडमिंटन मेंस सिंगल एसएल 4 मैच में सिल्वर मेडल जीतकर देश को गर्वान्वित किया है. हालांकि उपलब्धियों भरे इस सफर में कई तरह की चुनौतियों का उन्हें सामना करना पड़ा.

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स्कूल वालों ने एडमिशन देने से कर दिया था मना

आईएएस सुहास एलवाई का जन्म कर्नाटक के शिमोगा में हुआ था. आईएएस सुहास ने बताया था कि गांव में 3 बार स्कूल वालों ने उन्हें एडमिशन देने से मना कर दिया था. तब उनके पिता ने उन्हें कहा था कि स्कूल में अभी सीट नहीं मिली तो कोई बात नहीं, कभी ना कभी तुम जिंदगी में कुछ बड़ा करके दिखाना. उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सुरथकल से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया, फिर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी.

सहयोगी अधिकारी की इमेज

2007 में यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में 382वीं रैंक के साथ सुहास का सलेक्शन आईएएस के लिए हो गया. वह उत्तर प्रदेश के कई जिलों में काम कर चुके हैं. महामारी कोरोना काल के दौरान उन्हें गौतमबुद्ध नगर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसका निर्वहन सुहास ने बड़े अच्छे ढंग से निभाया और जनता के साथ सहयोगी अधिकारी की इमेज कायम की. उत्तर प्रदेश कैडर के 2007 बैच आईएएस ऑफिसर सुहास एलवाई ने टोक्यो पैराओलंपिक में भी मेडल हासिल किया था. इसी के साथ आईएएस सुहास एलवाई पैरालंपिक में लगातार दो पदक जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन प्लेयर बनने का तमगा भी अपने छाती पर सजा लिए है.

इतना ही नहीं सुहास एलवाय अर्जुन अवॉर्ड जीतने वाले भारत के इकलौते आईएएस अधिकारी हैं. यहां तक पहुंचने के लिए आईएएस सुहास एलवाई ने बहुत मेहनत की है. वह उम्दा बैडमिंटन प्लेयर हैं, जबकि हर मैच को वो अपने निराले अंदाज में खेलकर जीत हासिल करते है.