शब्बीर अहमद, भोपाल/ग्वालियर । मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई।सरकार द्वारा दायर मॉडिफिकेशन एप्लीकेशन में कोर्ट ने सारे तथ्यों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कल या परसों तक कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट में ढाई घंटे तक सुनवाई चली।

नगरी प्रशासन मंत्री ने बताया कि हमने जो याचिका लगाई थी उस पर आज सुनवाई हुई। 2 घंटे तक सरकार ने अपना पक्ष रखा।नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिले इसकी मांग की गई। कल 10:30 या गुरुवार दोपहर 2 बजे सुनवाई होगी।जो जानकारी आज सुप्रीम कोर्ट ने मांगी है उसे सरकार जल्द प्रस्तुत करेगी।

दरअसल, शिवराज सरकार ने एप्लीकेशन फॉर मॉडिफिकेशन के जरिये सुप्रीम कोर्ट के 10 मई के आदेश में संसोधन की मांग की है। सरकार की इस मांग पर आज सुप्रीम कोर्ट फिर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सारे तथ्यों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। गुरुवार तक सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है।

शिवराज सरकार ने दायर की है मॉडिफिकेशन याचिका

10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद शिवराज सरकार की ओर से 12 मई की देर रात एप्लिकेशन फॉर मॉडिफिकेशन दाखिल की गई है। सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की निकायवार रिपोर्ट पेश की है। बता दें कि मॉडिफिकेशन याचिका करने से पहले 11 मई को सीएम ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ मीटिंग की थी।

सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण की सुनवाई से पहले यचिकाकर्ता सैयद जाफ़र ने ट्वीट किया था. सैयद जाफ़र ने इस मामले से जुड़े कई क़ानूनी पेंचों को गिनाया। जाफ़र का सरकार पर आरोप है कि सरकार बयानों में ही ओबीसी वर्ग की हितैषी बन रही। आरक्षण का ख़त्म होना सरकार के लिए बड़ी चूक हो सकती है।

समय रहते सरकार ने ध्यान नहीं दियातन्खा

वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने कहा कि, यह बेहद दुखद है कि सरकार ने इस मामले में समय रहते यदि इस दिशा में कोशिश की होती तो आज यह स्थिति नहीं बनती। विवेक तंखा ने कहा कि जब सरकार के पास इस मामले में समय था उस वक्त सरकार राजनीति करने में लगी थी और जब इस मामले में कोर्ट का फैसला आ गया तो आप ओबीसी रिजर्वेशन दिलवाने की बात कर रहे हैं।

गोपाल भार्गव ने किया पलटवार

लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि देर हमने नहीं बल्कि कांग्रेस ने की है। कांग्रेस ने विधान बनाकर जो चुनाव प्रक्रिया तय की थी वो दोषपूर्ण थी और उनका भी आरक्षण का गणित कोई वैज्ञानिक य सटीक नहीं था, न ही सांख्यकी का आधार था, जिसमें देखा जाता है कि किस जिले में किस ब्लॉक में ओबीसी की कितनी जनसंख्या है।

OBC महासभा ने किया आंदोलन का ऐलान

इधर OBC महासभा ने 21 मई को प्रदेश बन्द आंदोलन का एलान किया है। जिस पर मंत्री तुलसी सिलावट का बड़ा बयान सामने आया है। मंत्री सिलावट ने OBC महासभा के आंदोलन पर इशारों इशारों में निशाना साधा और कहा कि सब जानते है कि यह किसके इशारे पर हो रहा है। जल्द सारे चेहरे सामने आ जाएंगे। मंत्री सिलावट ने अपने इशारों की बयानवाजी में OBC महासभा के आंदोलन के पीछे कांग्रेस का हाथ होने की बात कही है।

वहीं OBC वर्ग को लेकर मंत्री सिलावट ने कहा कि भाजपा ओबीसी की सच्ची हितेषी है, यही वजह है कि हम 27 फीसदी टिकट ओबीसी को देंगे। ओबीसी को आरक्षण देने के लिए विधानसभा में संकल्प भाजपा ही लेकर आई, कांग्रेस तो जुमलेबाजी करती रही।

मंत्री के OBC महासभा को लेकर दिए बयान पर महासभा ने भी पलटवार किया है। महासभा का कहना है कि हमें टारगेट किया जा रहा है. लेकिन बीजेपी की मनसा जाहिर हो रही है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तो हम उनका भी विरोध कर रहे थे, भाजपा और कांग्रेस ओबीसी के लिए एक जैसी है। हम कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकार के वक्त सड़कों पर उतर चुके हैं, इसलिए हम दोनों के ही खिलाफ हैं। हमें ओबीसी आरक्षण चाहिए,

ओबीसी महासभा ने यह भी कहा है कि हम किसी के इशारे पर नहीं चलते हैं। हम स्वतंत्र हैं और स्वतंत्र बॉडी की तरह काम कर रहे हैं। बीजेपी सरकार के मंत्री जिस तरह से बयानबाजी कर रहे हैं, उसका जवाब 21 मई आंदोलन के दिन उन्हें मिल जाएगा और 2023 के चुनाव में ओबीसी महासभा भाजपा सरकार की ईट से ईट बजा देगी।

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