सुरेंद्र जैन, धरसीवा. मजदूरों की मजबूरी का किस हद तक ओद्योगिक इकाइयां लाभ उठाती है, इसका जीता जागता उदाहरण आज देखने को मिला. उरला की नवदुर्गा इस्पात फैक्ट्री में आज सुबह से ही श्रमिक की मौत के बाद से परिजन फैक्ट्री के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

मृतक शंभू तांती उरला की नवदुर्गा फैक्ट्री में ठेकेदार रोहित शर्मा के अधीन फैक्ट्री के चटाल में काम करता था. 4 जनवरी को काम करते समय वह अचानक गिरा और लोहे से सर में चोट लगने से बेहोश हो गया, जिसे पहले एम्स उसके बाद नारायणा अस्पताल रायपुर में भर्ती किया गया, जहां उपचार के दौरान 12 फरवरी को उसकी मृत्यु हो गई.

घटना के बाद फैक्ट्री प्रबंधन ने मात्र एक लाख रुपए शुरू में दिए. इसके बाद लगभग आठ लाख रुपए परिवार के लोगों ने अपनी चल अचल संपत्ति गिरवी रखकर इलाज में लगाए. कंपनी प्रबंधन के अलावा अस्पताल प्रबंधन ने भी यह कहते हुए ईएसआईसी से इलाज नहीं किया कि ईएसआईसी मात्र एक माह पहले का है. इस मामले में टीआई उरला ने बताया कि 4 जनवरी को हुई घटना की सूचना उन्हें नहीं दी गई.

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