भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर जिले के महू (Mhow) में युवती से कथित तौर पर गैंगरेप, हत्या और फायरिंग में युवक की मौत का मामला गरमा गया है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पूरे मामले की जांच जारी है. थोड़ी देर में स्थिति साफ हो जाएगी. जयवर्धन सिंह ने कहा कि पुलिस को फायरिंग के आदेश कहां से मिले. कमलनाथ ने कहा कि मजिस्ट्रियल जांच तो होती रहती है, लेकिन कुछ नहीं होता है. अब महू के मामले को लेकर आदिवासी संगठन जयस सड़कों पर उतरेगा.

मामले में दो तरफ की बातें सामने आई- गृहमंत्री

पूरे मामले को लेकर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र (Home Minister Narottam Mishra) ने दुख जताया है. उन्होंने कहा कि इसमें दो तरह की बातें सामने आ रही है. कांग्रेस क्या कह रही इस पर नहीं जाना चाहिए. कांग्रेस मौत पर रोटी सेंकने का काम करती है और उनका पुराना शग़ल रहा है. वहाँ जो परिवार के लोग कहते हैं कि पानी गर्म करने के लिए रॉड से करंट लगने से मौत हुई है. दूसरा पक्ष है, जो कल आन्दोलन रकर हा था उनका कहना है कि हत्या की गई है. ये दो विषय है. उसके लिए फिर आक्रोशित होकर उन लोगों ने जाम किया था, फिर थाने में जब वो व्यक्ति गिरफ़्तार कर लिया था. तब लोग आपस में न्याय करना चाहते थे.

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कांग्रेस राजनीतिक लाभ लेना चाहती है- नरोत्तम

गृहमंत्री ने आगे कहा कि थाने में घेराव के साथ ही पथराव भी किया. लगभग 13 लोग घायल हुए हैं. पुलिस के एक जवान को इंदौर भी रेफर किया गया है. उस पर जांच की जाएगी. ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने यहीं पर टीम बनायी है. कांग्रेस ने जब भी कोई घटना इस तरीक़े की हुई है जिससे वो राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं. वो इस तरह का कृत्य करते रहते हैं. सवाल यह नहीं है. सवाल ये है कि बहुत दुखद घटना घटित हुई है. इस दुखद घटना में दुखी घड़ी में हम सबको साथ देना चाहिए. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि एक की मौत हुई है. मौत किस वजह से हुई किस गोली किसकी बंदूक़ से हुई ये भी जाँच का विषय है.

पुलिस को फायरिंग के आदेश कहां से मिले- जयवर्धन सिंह

कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह (Jaivardhan Singh) ने कहा कि महू में रेप के कारण आदिवासी भाई आंदोलन करने पहुंचे. क्या पुलिस को फायरिंग करने के आदेश थे. जब आदिवासियों का धरना होता है. पुलिस तभी फायरिंग क्यों करती है. आखिर पुलिस को फायरिंग के आदेश कहां से मिले.

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सड़कों पर उतरेगा आदिवासी संगठन जयस

विधायक हीरालाल अलावा (MLA Hiralal) ने कहा कि इस तरह के मामले आदिवासियों के साथ हो रहे हैं. इससे आदिवासियों में काफ़ी ज़्यादा रोष है. आख़िर सरकार को फायरिंग करने का हक किसने दिया था. पुलिस वालों को आदेश कहाँ से मिले. सरकार के इस क़दम के खिलाफ सड़क पर उतरकर जयस आंदोलन करेगा. आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ रहा है और कई थानों के अंदर आदिवासियों को बर्बरता के साथ मारा जा रहा है. घटना पर अगर न्यायिक जाँच नहीं हुई, तो हम सड़कों पर उतर आएँगे और आंदोलन करेंगे.

क्या है पूरा मामला ?

बता दें कि पूरा मामला महू के डोंगरगांव थाना क्षेत्र का है, जहां एक आदिवासी युवती की मौत पर जमकर बवाल हुआ. मौत के बाद गुस्साए परिजनों ने शव लेकर थाने के बाहर चक्काजाम किया था. परिजनों का आरोप है कि युवती के साथ रेप के बाद उसकी हत्या कर दी. हत्या करने वाला पाटीदार समाज का युवक है. पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही और उसे पुलिस ने थाने में बैठा कर रखा है. भीड़ लगातार आरोपी को सौंपने की मांग कर रही थी. जिसके बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने भीड़ को समझाने की कोशिश की कि वह कानून अपने हाथ में ना लें आरोपी को सजा कोर्ट देगी.

लेकिन परिजन नहीं माने और लगातार प्रदर्शन करते रहे. 1 घंटे तक चले प्रदर्शन के बाद जब परिजनों की कोई सुनवाई नहीं हुई तो परिजनों ने पुलिस थाने पर पथराव कर दिया. भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले बरसाए और 25 से ज्यादा हवाई फायर किए बावजूद इसके स्थिति पुलिस के कंट्रोल में नहीं आई और भीड़ नें पुलिस पर पथराव कर दिया. इस दौरान गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई.

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