लखनऊ. उत्तर प्रदेश (UP) में चुनाव की घोषणा हो चुकी है. लेकिन इस बार का ये चुनाव कुछ दिग्गज राजनेताओं के बिना ही होगा. इसमें से कुछ दिग्गज ऐसे है जो उम्र के उस पड़ाव में हैं जहां वे सक्रिय नहीं है, दूसरी तरफ और कुछ दिग्गज है जो अब इस दुनिया में नहीं है.

सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपनी बढ़ती उम्र व स्वास्थ्य कारणों के कारण सक्रिय नहीं हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में तो सपा के बीच अंतर्कलह काफी थी. उस वक्त भी मुलायम सिंह यादव ने केवल तीन सीटों पर प्रचार किया था. अब वह उस तरह से सक्रिय नहीं हैं. ज्यादातर समय घर पर ही रहते हैं. उधर सपा के तेज तर्रार नेता आजम खां लंबे समय से जेल में हैं. वह अपने जोरदार भाषणों से समर्थकों को लुभाते थे. वह शायद अब चुनाव न लड़ें.

इसके अलावा अजित सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, लालजी टंडन, सुखदेव राजभर -इन जैसे तमाम सियासी योद्धा के बिना ही 2022 का चुनावी संग्राम लड़ा जाएगा. यह सब नेता हमारे बीच नहीं रहे. पिछले चुनाव क्या तमाम चुनावों में इनकी अहम भूमिका अपने दलों को आगे बढ़ाने में रही है. पर अब सियासी दलों को इनके बिना ही चुनावी संग्राम में उतरना पड़ेगा. यह कद्दावर नेता पर्दे के पीछे रणनीति बनाने से लेकर अपनी लोकप्रियता के चलते वोट खींचने में सक्षम थे

यूपी की चुनावी संग्राम में अमर सिंह लंबे समय तक चर्चा में रहे थे. एक वक्त था कि वह सपा के खास रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते थे. बाद में वह सपा से बाहर हो गए. अब वह इस दुनिया में नहीं हैं.

कल्याण सिंह तो भाजपा के बड़े स्तंभ रहे हैं. पिछड़े वर्ग के बड़े नेता के तौर पर वह भाजपा को आगे बढ़ाते रहे तो राममंदिर आंदोलन के नायक भी वही बने. राज्यपाल बनने के कारण वह सक्रिय राजनीति से तो दूर रहे, लेकिन वह भाजपा के लिए अंत तक संकटमोचक बने रहे.

रालोद प्रमुख जयंत चौधरी व उनकी पार्टी को अब अजित सिंह की कमी खल रही होगी. अजित सिंह को कई चुनाव जीतने, गठबंधन करने व जाटों के बीच गहरी पैठ बनाने का पुराना अनुभव था. अब अजित सिंह के बिना ही जयंत चौधरी के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है. लालजी टंडन भी भाजपा के सशक्त नेता थे. उनकी कमी भी भाजपा को खल रही है.