देहरादून। लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से समान नागरिक संहिता याने यूसीसी को लेकर चर्चा गर्म है. बंगाल में जहां केंद्रीय मंत्री इसे जहां लागू करने की बात कह रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड की धामी सरकार ने इसे लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा दिया है. जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) समिति ने शुक्रवार को यूसीसी का बहुप्रतीक्षित ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है. इसे भी पढ़ें : UP NEWS : ‘जय श्री राम’ के उद्घोष के साथ शुरू हुआ उप्र विधानमंडल का बजट सत्र, तख्ती लेकर पहुंचे सपाई

मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री धामी को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट सौंपे जाने के अवसर पर समिति के चार सदस्य जस्टिस प्रमोद कोहली (सेनि), पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल व सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ और समिति के सचिव रंजन मिश्रा उपस्थित रहे. समिति से ड्राफ्ट मिलने के बाद इसे शनिवार को मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाने की संभावना है.

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जानकारी के अनुसार, ड्राफ्ट चार खंडों में है. समिति की प्रमुख संस्तुतियों में संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान अधिकार सभी धर्मों में लागू रहेगा. अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकेगा. लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक होगा. इसके साथ समिति ने लव जिहाद, विवाह समेत महिलाओं और उत्तराधिकार के अधिकारों के लिए सभी धर्मों के लिए समान अधिकार की मुख्य रूप से संस्तुति की है.

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समिति ने अपने ड्राफ्ट में तलाक, तलाक के बाद भरण पोषण और बच्चों को गोद लेने के लिए सभी धर्मों के लिए एक कानून की संस्तुति की है. इसके साथ सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य करने का प्रस्ताव दिया है. समिति ने इसके साथ बहुपत्नी प्रथा समाप्त कर एक पति पत्नी का नियम सभी धर्मावलंबियों पर लागू करने पर बल दिया है. हालांकि, प्रदेश की जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है.

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समिति को मिले 2.33 लाख सुझाव

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना प्रदेश की भाजपा सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में है. सरकार ने इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. 20 माह में समिति अब इस कार्य को पूरा कर चुकी है. इस अवधि में समिति ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों व समुदायों के साथ 72 बैठकों व आनलाइन माध्यम से सुझाव लिए. समिति को 2.33 लाख सुझाव प्राप्त हुए हैं.

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पांच फरवरी को विस में होगा पेश

समिति ने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में तैयार किया है. समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट मिलने के बाद अब इसे कानूनी रूप देने की प्रक्रिया पर भी सरकार आगे कदम बढ़ा रही है. शनिवार को मंत्रिमंडल की बैठक में इसे स्वीकृति मिलना तय माना जा रहा है. पांच फरवरी से आहूत विधानसभा सत्र में छह फरवरी को समान नागरिक संहिता से संबंधित विधेयक को सदन के पटल पर रखा जाएगा.