प्रतीक चौहान. रायपुर. रेलवे अवैध वेंडिंग को रोकने की लाख कोशिश कर लें, लेकिन अवैध वेंडर्स उनसे एक कदम आगे है. जिस वेंडिंग कार्ड को चेक करने के बाद वैध बताया जा सकता है, संभव है कि वो फर्जी हो और रेलवे स्टेशन के सामने अरिहंत कॉम्प्लेक्स की दुकान से एडिट होकर आया है.

 लल्लूराम डॉट कॉम ने कुछ दिनों पहले ही अवैध वेंडिंग को लेकर खुलासा किया था. उसमें ये बताया गया था कि अवैध वेंडर कितने बेखौफ है कि आरपीएफ की क्राइम ब्रांच के सामने ही वेंडिंग करते नजर आ रहे है. लेकिन उस खुलासे के बाद से अवैध वेंडर गायब हो गए है, या उन्हें गायब होने कह दिया गया है!

इस खुलासे के अगली कड़ी में हमने ये भी कहा था कि अवैध वेंडिंग के फर्जी कार्ड कैसे बनते है इसको लेकर भी हम खुलासा करेंगे. लल्लूराम डॉट कॉम ने रेलवे स्टेशन के ही कुछ वेंडरों की मदद ली. पड़ताल में हमें पता चला था कि रेलवे स्टेशन के सामने अरिहंत कॉम्प्लेक्स की दुकान में ही रेलवे स्टेशन के सभी वेंडर्स अपना वेंडिग कार्ड प्रिंट करवाते है. इसके बाद रेलवे के अधिकारी इसमें सील-साइन करते है.

 लेकिन लगातार दुकान में जाने आने के बाद जब अच्छे संबंध हो जाते है तो कई बार दुकानदार कार्ड को स्कैनिंग कर फर्जी कार्ड बनाने में भी मदद करता है. मदद करते हुए वे ये जरूर कहता है कि ये काम गलत है… मत करवाया करो..

लल्लूराम डॉट कॉम ने रेलवे स्टेशन के ही दो वेंडरों से कार्ड मदद के तौर पर मांगे और उसे उक्त दुकान में लेजाकर लल्लूराम डॉट कॉम के पत्रकार का वेंडिंग कार्ड बनाने का निवेदन किया. हालांकि मूलाकात दुकानदार से पहली थी, इसलिए उसने उक्त कार्ड में बहुत ज्यादा कुछ एडिट नहीं किया, उसने सिर्फ वेंडर की फोटो हटाकर लल्लूराम डॉट कॉम के पत्रकार की फोटो लगा दी.

ये कार्ड लल्लूराम डॉट कॉम के पत्रकार ने जब रेलवे अधिकारी को दिखाए तो वो भी खुद इसे देखकर दंग रह गए. उक्त कार्ड में नाम और सारी जानकारी ब्लर लल्लूराम डॉट कॉम द्वारा की गई है, जिससे कार्ड होल्डर की असली पहचान उजागर न हो. इस कार्ड को बनाने के लिए दुकानदार ने मात्र 100 रूपए लिए.