रायपुर। विधानसभा के विशेष सत्र में गुरुवार को राज्यपाल के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह परंपरा रही है कि जब भी नहीं कैलेंडर वर्ष में सत्र आहूत हो तो राज्यपाल उस एड्रेस करें. इस परंपरा का हमने पालन किया पिछले सत्र में ही फरवरी के अंतिम सप्ताह में अगले सत्र की घोषणा की गई थी. परिस्थिति बदली और संसद में यह विधेयक पारित किया इसलिए विशेष सत्र बुलाने की बाध्यता थी. इसके लिए हमने विपक्ष के साथियों से चर्चा की लेकिन मुझे नहीं पता था कि विपक्ष इतना बिखरा हुआ है.

उन्होंने कहा कि बात अगर परंपरा की हो तो विपक्ष को वाकआउट करने का अधिकार है पर इसका ऐलान भी आज दूसरे सदस्य कर रहे थे. राज्यपाल के अभिभाषण में बहिष्कार कहां किया जाता है. ऐसी परंपरा छत्तीसगढ़ में नहीं रही है. आरक्षण को लेकर काफी बातें हुई. आज समझना होगा कि सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने की तैयारी की जा रही है. नगरनार, बाल्को और बीएसपी भी बेचने की तैयारी की जा रही है. सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में देने से बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है.

अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अवसर घटने लगा है. यह बेहद दुर्भाग्यजनक है जो लोग आरक्षण का विरोध कर रहे थे आज वही समर्थन की बात कर रहे हैं. यह किस मुंह से प्रशंसा कर रहे हैं पिछली बार आहूत सत्र में हमने कहा था कि अगर आप गांधीजी की प्रशंसा कर रहे हैं तो स्वागत है लेकिन गोडसे मुर्दाबाद भी कहना चाहिए. तब किसी के मुंह से एक शब्द नहीं निकला आज वही लोग संविधान की बात कह रहे हैं.

यह कानून था इसलिए पारित किया गया. लेकिन यह भी चिंता का विषय है कि सार्वजनिक उपक्रम निजी हाथों में देने की बात हो रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नगरीय निकाय चुनाव में ऐतिहासिक जीत के लिए प्रदेश की जनता को धन्यवाद दिया. अंत में उन्होंने विपक्ष को लेकर कहा कि विपक्षी सदस्य विरोध करके चले गए यह उनका अधिकार है लेकिन यह स्वस्थ परंपरा नहीं है.