पुरषोत्तम पात्र, गरियबन्द. तेल नदी के सेनमुड़ा घाट पर उच्चस्तरीय पुल निर्माण के लिये पूर्व सरकार ने दो साल पहले साढ़े 5 करोड़ की मंजूरी दी थी, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से दोबारा डिजाइन बदलने से लागत 8 करोड़ 70 लाख पहुंच गई.  विधान सभा में बहिष्कार के एलान के बाद अब ग्रामीण लोकसभा में भी बहिष्कार करने का मन बनाया है.

भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल से बाद से सेनमुड़ा घाट भाजपा के लिये चुनावी पुड़िया बन चुकी थी, तीसरे कार्यकाल के तीन साल बीत जाने के बाद इस पुलिया के लिये सरकार ने 5 करोड़ 30 लाख की मंजूरी भी दे दी. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के सेतु शाखा के जिम्मे कार्य दिया गया., ठेकेदार से अनुबन्ध के बाद विधिवत कार्य भी आरम्भ कर दिया गया, लेकिन तय डिजाइन में पिल्हर खड़े करने में तकनीकी दिक्कत आने की वजह से निर्माण कार्य को नींव रखने से पहले बन्द करना पड़ा था.

 

खामी सुधारने के लिये एनआईटी रायपुर को जिम्मा दिया गया था, नए डिजाइन पर कार्य का नया प्रांक्कलन भी तैयार किया गया विभाग के कार्यपालन अभियंता आरपी मिश्रा ने बताया कि नए प्रपोज़ल के मुताबिक 8 करोड़ 70 लाख रुपए लागत आएगी. अक्टूबर 2018 के पहले प्रपोजल शासन को भेज दिया गया है. स्वीकृति मिलते ही कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा.

 

फिर से चुनाव बहिष्कार की तैयारी

शासकीय प्रक्रिया व अड़चन से अनजान ग्रामीण पुल निर्माण को लेकर ठगा सा महसूस कर रहे हैं. नदी उस पर रहने वाले जनपद उपाध्यक्च देशबंधु नायक ने कहा कि सरकार बदलने के बाद निर्माण में रोड़ा ज्यादा बढ़ गया है, पिछली सरकार ने भी नए प्रपोजल पर समय रहते ध्यान नहीं दिया. विधानसभा चुनाव बहिष्कार की चेतावनी के बाद नेताओं ने निर्माण शुरू जल्द कराने का भरोसा दिलाया था. लेकिन अब सरकार बदलते ही परिस्थितियां बदल गई है. सेनमुड़ा घाट से होकर आवाजाही करने वाले 8 गाव के 12 हजार लोगों की समस्या यथावत है. स्थिति को देखते हुए ग्रामीण अब एक बार फिर से चुनाव बहिष्कार पर विचार कर रहे हैं, जिसके लिए रविवार को बैठक का आयोजन किया गया है.

इसलिए बदलना पड़ा डिजाइन

विभाग के मुताबिक, 325 मीटर लंबी स्लैब में प्रत्येक 25 मीटर पर पिल्हर बनाया जाना है. कुल 13 पिल्हर बनाने थे. ठेकेदार ने पिल्हर के लिए जब नींव खुदाई किया तो 4 को छोड़ कर 9 पिल्हर के नींव खुदाई में 8 से 12 मीटर की गहराई में हार्ड रॉक मिला, जबकि 30 फिट खुदाई किया जाना था. इन परिस्थिति में पाइल्स फाउंडेशन खड़ा किया जाना होता है. पाइल्स फाउंडेशन के लिये ऊपर स्लैब की भी डिजाइन बदलनी पड़ी. इसमें लागत बढ़ गई है.