पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। क्या आप सोच भी सकते हैं कि सड़क के अभाव में ग्रामीण पलायन करने को मजबूर हैं. यही नहीं सड़क नहीं होने की वजह से गांव में राशन गाड़ियों में नहीं बल्कि घोड़ों के जरिए पहुंचता है. लेकिन अब मोदी सरकार की जनमन योजना से इन गांवों की तस्वीर बदलने जा रही है. 68 सड़क विहीन गांवों को चिन्हित किया गया है, जिनमें से 35 गांवों में पहले चरण में 40 करोड़ रुपए की लागत से सड़क बनेगी. इसे भी पढ़ें : राम मय हुआ भगवान राम का ननिहाल: आज छत्तीसगढ़ में बनेंगे 3 विश्व रिकॉर्ड, कल नवा रायपुर के चौक-चौराहों पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का होगा लाइव प्रसारण

केंद्र सरकार की जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति (कमार) बसाहट वाले गांवों की तस्वीर बदलने के कवायद के बीच इंदागांव के आश्रित ग्राम अमली से इस साल भी पलायन की खबर है. ग्राम पंचायत की ओर से आश्रित ग्राम अमली से पलायन करने वालों की सूची मैनपुर जनपद में सौंपी है, जिसमें 11 कमार परिवार के 11 महिला समेत कुल 28 लोगों के नाम शामिल हैं.

उप सरपंच रूप सिंह ने कहा कि 80 महिला व 130 पुरुष बसाहट वाला यह गांव 80 के दशक से बसा हुआ है. इस गांव की प्रमुख समस्या सड़क है. गांव को पंचायत मुख्यालय या फिर जनपद मुख्यालय से जोड़ने के लिए सड़क की मांग लंबे समय से की जाती रही है. चूंकि इलाका उदंती सीता नदी अभ्यारण्य के दायरे में आता है, ऐसे में सड़क की मंजूरी में वन अधिनियम बाधा बन रहा है.

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गांव में मनरेगा के काम खोले जाते है जो नाकाफी होता है, इसलिए रोजगार के लिए प्रति वर्ष अमली के कुछ परिवार आंध्र प्रदेश के ईंट भट्ठी में काम करने अक्टूबर माह में जाते हैं, जो फिर जुलाई-अगस्त में वापस आ जाते हैं. पलायन की जानकारी से मैनपुर जनपद सीईओ अंजली खलको ने अनभिज्ञता जाहिर की. उन्होंने कहा कि पंचायत की मांग के आधार पर रोजगार के लिए मनरेगा से पर्याप्त काम कराए जा रहे.

घोड़े के जरिए लाते हैं राशन

सड़क के अभाव में आज भी मैनपुर विकासखंड के पहाड़ों में बसे कमार जनजाति के लोग जरूरत के सामान ढोने के लिए घोड़े का उपयोग करते हैं. कोई बीमार भी पड़ा तो यही घोड़े सहारा बनते हैं. जमा पूंजी से कमार लोग वाहन के बजाए घोड़े की खरीदी करते हैं. कुल्हाड़ी घाट पंचायत के आश्रित ग्राम कुरुवापानी, भालू डिग्गी, मटाल, ताराझर जैसे गांव में 25 से भी ज्यादा घोड़े हैं. 90 के दशक से इन गांव में जरूरत के सामान ढोने के लिए घोड़े रखने का चलन शुरू हुआ था.

35 गांवों के लिए सड़क मंजूर

आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त नवीन भगत ने बताया कि जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति बहुल 191 गांवों के 4919 परिवार को संपूर्ण मूलभूत सुविधा देने बनाई गई कार्ययोजना पर काम शुरू हो गया है. पहले चरण में कुल 65 किमी लंबाई की 35 सड़कों के लिए 40 करोड़ की राशि मंजूर हो गई हैं. पीएमजीएसवाय विभाग कार्य शुरू कराने की प्रक्रिया जल्द शुरू कर देगी. अन्य सड़कों के लिए वन विभाग से एनओसी लेने की प्रक्रिया जारी है.

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मूलभूत सुविधा मुहैया कराने बनाई योजना

नवीन भगत ने बताया कि 191 गांव में रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति के 17968 लोग रहते हैं. जरूरतमंद 1925 परिवार के लिए आवास की मंजूरी देते हुए पहली किश्त की राशि उनके खातों में डाल दी गई है. इसके साथ स्वास्थ्य, पानी, बिजली और रोजगार की व्यवस्था पर भी काम जारी है.

क्या है जन मन योजना

पीएम जनमन योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 15 नवंबर 2023 को की गई थी. योजना के तहत पिछली जनजाति के लोगों के लिए बिजली, सुरक्षित घर, पीने का साफ पानी, पोषण तथा बेहतर पहुंच, शिक्षा, टेलीफोन कनेक्टिविटी, पीवीटीजी क्षेत्र में सड़क और स्वास्थ्य सफाई जैसी सुविधाएं प्रदान करने का प्रावधान है.

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