पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। 100 किमी लंबी दूरी से बिजली की सप्लाई वाले देवभोग में घने वनों के कारण अंधड़ व बारिश में बार-बार सेवा बाधित होती है. ऐसे में गुस्साए उपभोक्ताओं ने बिल पटाना बन्द कर दिया है. आलम यह है कि 20 हजार उपभोक्ताओं पर विभाग का 10 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है.

देवभोग ब्लॉक में आने वाले 103 गांव के लोगों को बिजली सप्लाई देने 60 के दशक में जो ढांचा तैयार किया था, आज भी बरकरार है. लो वोल्टेज की समस्या को दूर करने दो साल पहले ढांचे में आंशिक परिवर्तन किया गया. 127 किमी दूर सढोली से हो रही सप्लाई को बदल नगरी के मेचका से 100 किमी से 33/11के व्हि लाइन की सप्लाई शुरू किया गया. सम्भवतः यह राज्य की पहली विद्युत सप्लाई व्यवस्था है, जिसकी लाइन 60 के दशक में खड़े किए गए ढांचे के अलावा 50 किमी से भी ज्यादा घने वनों से होकर गुजरती है.

आए दिन आते रहते हैं फॉल्ट

पुरानी व्यवस्था व घने वनों के कारण गर्मी के दिनों में उठने वाले अंधड़ व बारिश के दिनों में तेज हवा के चलते रोजाना फॉल्ट आ जाते हैं. पेड़ गिरने, डंगाल टूटने से तार टूट जाया करता है. लोड ज्यादा हुआ तो इंश्यूलेटर व डिस्क पंचर होते रहता है. मुख्य लाइन में आने वाले इस फॉल्ट को ढूंढ कर ठीक करने में कभी-कभी तो 16 से 18 घन्टे का वक़्त भी लग जाता है. मुख्य सप्लाई के अलावा लोकल में फ्यूज उड़ने व तार जलने की शिकायतें भी आती है.

एक अभियंता और 14 अकुशल कर्मी

ब्लॉक में तकनीकी जानकार व प्रशासनिक कामकाज के लिए केवल एकमात्र सहायक अभियंता विनोद तिवारी पदस्थ हैं. इनके साथ फील्ड में काम करने के लिए 14 अकुशल श्रमिक व 1 संविदा कर्मी 24 घण्टे ड्यूटी पर तैनात हैं, जबकि यहां दो उपअभियंता के साथ लाइनमैन, सहायक लाइनमैन, हेल्पर के अलावा नाइट शिफ्टिंग के कर्मियों को मिलाकर 30 से भी ज्यादा पोस्ट कई वर्षों से रिक्त पड़ा है.

जनआक्रोश व शिकायत झेलना पड़ रहा

विद्युत वितरण कम्पनी के इस आधे-अधूरे सेटअप का खामियाजा तैनात अफ़सर व कर्मियों को भुगतना पड़ता है. काम पर तैनात कर्मियों ने बताया कि एक समय में कई जगह फॉल्ट आ जाते हैं, ऐसे में सभी को जल्दी रहती है. हम अगर 24 घण्टे काम करके आये होते हैं, तो भी उन्हें लोकल फॉल्ट सुधार की जल्दी पड़ी होती है. काम में देरी होने पर कहा-सुनी हो जाती है. ऊपर में वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर आम जनता के गुस्से का सामना स्थानीय अधिकारी व बिजली कर्मी झेलते हैं.

10 करोड़ का बिजली बिल बकाया

बाधित सेवा से खीझ चुके उपभोक्ता अपना गुस्सा बिजली बिल भुगतान न करके उतार रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, देवभोग ब्लॉक में 25 हजार उपभोक्ता हैं, जिनमें से 20 हजार के पास 10 करोड़ का बकाया है. 15 से ज्यादा ऐसे गांव है, जहां के 95 फीसदी उपभोक्ता बिल भुगतान करना बंद कर दिए हैं. ढाई साल पहले तक बकाया का आंकड़ा 3 करोड़ के आसपास था. सरकार बदली तो बिजली बिल माफी योजना के बाद बकायादारों का आंकड़ा भी बढ़ गया.

बिजली माफ योजना का भी फायदा नहीं

सहायक अभियंता विनोद तिवारी ने बताया कि बिजली बिल माफ योजना के फायदे के लिए पुराना बिल चुकता करना होता है. बकायादारों को इसका फायदा नहीं मिलेगा. ये सब बताने के बावजूद बिल नहीं पटा रहे हैं. बिजली काट कर भी वसूली का प्रयास किया गया, लेकिन उच्च अधिकारी व जनप्रतिनिधि से शिकायत कर सेवा बहाल करा लेते हैं, लेकिन बिल भुगतान करने कोई नहीं सोच रहा.

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लाचार अफसर का छलका दर्द

मामले में जिले में बैठे बिजली वितरण कम्पनी के कार्यपालन अभियंता पीके साहू ने कहा कि स्टाफ की कमी पूरे प्रदेश में है. यहां की हालात का ब्योरा हर माह स्टेट ऑफिस में दे रहे हैं. रिक्त पदों की पूर्ति का काम ऊपर से है. वैसे फॉल्ट आई तो केवल देवभोग ही नहीं लाइन में पड़ने वाले सभी केंद्रों के कर्मी व अफसरों को तैनात कर फॉल्ट सुधार किया जाता है. आधी रात को मैं भी कई बार बगैर खाये-पिये टार्च की रौशनी में जंगलों में भटकते हुए फॉल्ट ढूंढने का काम किया हूं.

132 केव्ही का इंतजार

इस इलाके की बिजली समस्या को दूर करने 132 केव्ही लाइन सप्लाई का कार्य अंतिम चरण में है. अफसरों का दावा है कि इसी साल सितंबर-अक्टूबर तक नई व्यवस्था से सेवा शुरू हो जाएगी.

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