
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने नए बजट में आदिवासी बहुल बस्तर और सरगुजा क्षेत्र के समग्र विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अगुवाई में पेश किए गए इस बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना, रोजगार और वन उपज से जुड़े उद्योगों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं. सरकार की इन नीतियों से स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल है, और उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया है.
आदिवासी बहुल इलाकों के विकास के लिए ऐतिहासिक बजट
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बजट पेश होने के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा,”बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास के बिना छत्तीसगढ़ का संपूर्ण विकास संभव नहीं है. हमारी सरकार ने इन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए विशेष योजनाएँ बनाई हैं.” बजट में बस्तर और सरगुजा क्षेत्र के विकास के लिए विशेष प्रावधान दिया गया है. इसके तहत सड़क निर्माण, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य सेवाओं, डिजिटल कनेक्टिविटी, कृषि और वन उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देने की योजनाएँ बनाई गई हैं.
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने बजट में अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान दिया है. बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना और आजीविका संवर्धन के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं. विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति (एसटी) बाहुल्य क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए नए संस्थान स्थापित करने और मौजूदा योजनाओं के दायरे को बढ़ाने की योजना बनाई गई है.

शिक्षा में सुधार के लिये प्रावधान
बस्तर और सरगुजा के युवाओं के लिए उच्च शिक्षा को सुलभ बनाने के उद्देश्य से सरकार ने इन दोनों क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिये विशेष प्रावधान किये हैं.बजट में 50 नए सरकारी स्कूलों और 10 नए आदिवासी आश्रम विद्यालयों को मंजूरी दी गई है.छात्रों को उच्च शिक्षा और शोध कार्यों के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने “जनजातीय छात्रवृत्ति योजना” की शुरुआत की है, जिसके तहत अनुसूचित जनजाति (ST) के मेधावी छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्रबंधन और शोध कार्यों के लिए विशेष छात्रवृत्ति दी जाएगी.
बस्तर के जगदलपुर में रहने वाले सुनील कश्यप, जो कि बीएड के छात्र हैं, कहते हैं, “हमारे क्षेत्र में शिक्षा के साधन सीमित हैं, लेकिन सरकार की इस पहल से आदिवासी युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा. मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद, जिन्होंने हमारे भविष्य का ध्यान रखा है..”
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
बस्तर और सरगुजा में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने “आदिवासी स्वास्थ्य मिशन” की घोषणा की है। इसके तहत:
1500 नए डॉक्टरों और नर्सों की भर्ती की जाएगी.
प्रत्येक जिले में मोबाइल मेडिकल यूनिट्स तैनात की जाएँगी, ताकि दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हों.
सभी सरकारी अस्पतालों को अपग्रेड कर आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा.
सरगुजा के रहने वाले रामलाल टोप्पो, जो कि एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, कहते हैं, “पहले हमें इलाज के लिए 100-150 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, लेकिन अब मेडिकल कॉलेज और नई स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलने से हमें अपने ही क्षेत्र में बेहतर इलाज मिल सकेगा.”
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की सरकार अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में शोध और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है. इन पहलों से न केवल जनजातीय समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा. शोध एवं अध्ययन समाज के बौद्धिक विकास की नींव होते हैं.
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका की विशेष पहल पर अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में शोध एवं अध्ययन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य शासन के वर्ष 2025-26 के बजट में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में श्रीमंत शंकर देव अनुसंधान पीठ की स्थापना के लिए 2 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. छत्तीसगढ़ की डबल इंजन की सरकार में यह सब कुछ बहुत आसानी से सम्भव भी हो रहा है.
विश्वविद्यालय में आईटी आधारित एमआईयू प्रयोगशाला के लिए 1.71 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है, इससे अनुसंधान को एक नई दिशा मिलेगी. अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में ज्ञान-विज्ञान को बढ़ावा देने और स्थानीय ज्ञान परंपराओं के दस्तावेजीकरण के लिए श्रीमंत शंकर देव अनुसंधान पीठ की स्थापना एक महत्वपूर्ण पहल है.
इसके माध्यम से अनुसंधान कार्यों को गति मिलेगी और नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत को समझने का अवसर मिलेगा. राज्य मे रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए 3 करोड़ रूपए का प्रावधान भी किया गया है.इसके अलावा, शासकीय निर्देश पर सभी स्वशासी महाविद्यालयों में परीक्षा नियंत्रक के पद भी बजट में प्रस्तावित किए गए हैं.

जनजातीय परंपराओं का संरक्षण और प्रोत्साहन
अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में शोध को बढ़ावा के साथ ही साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जनजातीय परंपराओं के संरक्षक बैगा, गुनिया और सिरहा को सम्मानित करने की पहल की है. इन परंपरागत ज्ञान धारकों को प्रति वर्ष 5,000 रुपये की सम्मान निधि प्रदान की जाएगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने में सक्षम होंगे.
विशेष पिछड़ी जनजातियों का विकास
राज्य सरकार ने विशेष पिछड़ी जनजातियों जैसे बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, बैगा, कमार, और अबूझमाड़िया के विकास के लिए 300 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है. इस राशि का उपयोग इन जनजातियों को बुनियादी सुविधाएं, जैसे पक्के मकान, पेयजल, और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा. प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत इन जनजातियों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित किए जा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.
नियद नेल्लानार योजना
नियद नेल्लानार (आपका अच्छा गांव) योजना के माध्यम से माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को भरपूर बढ़ावा दिया जा रहा है. इस योजना के तहत सुरक्षा कैंपों के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत हितग्राहियों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. इससे इन क्षेत्रों में बंद पड़े हाट बाजार और स्कूल फिर से सक्रिय हो रहे हैं जिससे जनजातीय समुदायों का जीवन स्तर सुधर रहा है.
रोजगार और वन उपज आधारित उद्योगों को बढ़ावा
सरकार ने आदिवासी समुदाय की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए “वन उपज समर्थन योजना” शुरू की है. इसके तहत महुआ, तेंदू पत्ता, साल बीज, चिरौंजी, लाख और अन्य वनोपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाया गया है.इसके अलावा, बस्तर और सरगुजा में लघु वन उपज आधारित नए उद्योग स्थापित करने के लिए 2000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इससे स्थानीय आदिवासियों को रोजगार मिलेगा और उनकी आजीविका सुरक्षित होगी.
जगदलपुर के तेंदू पत्ता संग्राहक मंगला कुंजाम ने कहा, “पहले हमें बहुत कम दाम मिलते थे, लेकिन सरकार के नए फैसले से हमें हमारी मेहनत का सही मूल्य मिलेगा. इससे हमारे जीवन में सुधार आएगा.”
अधोसंरचना और कनेक्टिविटी में सुधार
दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने बस्तर और सरगुजा में 5000 किलोमीटर नई सड़कें बनाने का लक्ष्य रखा है.रायपुर-जगदलपुर और रायपुर-अंबिकापुर रेल सेवा का विस्तार करने का फैसला किया है.बस्तर हवाई अड्डे से नई उड़ानें शुरू की जाएँगी, जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.सरगुजा के व्यापारी अजय सिन्हा कहते हैं,
“सड़क और रेल संपर्क बेहतर होने से हमारे व्यापार को फायदा होगा और नई नौकरियाँ पैदा होंगी. यह बजट आदिवासी क्षेत्रों के लिए बेहद लाभदायक साबित होगा.”
पर्यटन और सांस्कृतिक संवर्धन
सरकार ने बस्तर और सरगुजा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए “ट्राइबल टूरिज्म सर्किट” विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत:
चित्रकूट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात और कांगेर घाटी जैसे पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाएगा.
स्थानीय हस्तशिल्प और कला को बढ़ावा देने के लिए ‘ट्राइबल हाट’ की स्थापना होगी.
लोक नृत्य, जनजातीय संगीत और पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे.
बस्तर के कलाकार रमेश मट्टामी ने कहा, “हमारी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार का यह कदम सराहनीय है. इससे हमारी कला और परंपराएँ संरक्षित रहेंगी और नई पीढ़ी को भी इससे जोड़ने का मौका मिलेगा.”
स्थानीय जनता का सरकार के प्रति आभार
बस्तर और सरगुजा के लोगों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनकी सरकार की नीतियों की सराहना की है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बजट उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगा.जगदलपुर की मीरा ठाकुर, जो कि एक किसान हैं, कहती हैं, “पहली बार सरकार ने हमारे क्षेत्र के विकास पर इतना ध्यान दिया है. हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में हमारे जीवन स्तर में सुधार होगा.”
सरगुजा के एक युवा शंकर टोप्पो का कहना है, “यह बजट हमारे क्षेत्र के लिए एक नया सवेरा लेकर आया है. शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलने से हमारे भविष्य को नई दिशा मिलेगी.”
विष्णु देव साय सरकार द्वारा प्रस्तुत यह बजट आदिवासी बहुल बस्तर और सरगुजा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. सरकार की योजनाओं से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी ढांचे में व्यापक सुधार होने की उम्मीद है.अब देखने वाली बात यह होगी कि इन योजनाओं को जमीनी स्तर पर कितनी प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है और यह वास्तव में इन क्षेत्रों के लोगों के जीवन में कितना बदलाव लाने में सफल होता है.