सुशील सलाम, कांकेर. जो काम सरकार पिछले 15 सालों में नहीं कर पाई, उस काम को जिरामतराई के ग्रामवासियों ने कर दिखाया. गांव वालों ने श्रम दान कर एक पुल का निर्माण किया है. इस पुल के निर्माण लिए गांव वालों ने न जाने कितने चक्कर नेताओं और अधिकारियों के लगाए पर किसी ने उनकी एक न सुनी. फिर क्या था, ग्रामीणों ने आपस मे बैठक की और खुद ही पुल का निर्माण कर डाला.  ग्रामीणों ने बिहार के मांझी द माउंटेन मैन की तर्ज पर नदी पार करने के लिए अस्थाई पुल का निर्माण कर लिया. इस पुल के सहारे ग्रामीण एक और बरसात काट लेंगे.

 

जिला मुख्यालय से करीब 130 किमी दूर घोर नक्सल प्रभावित इलाके जिरामतरई के लोग पिछले 15 सालों से एक पुल की मांग करते रहे पर सरकार उन्हें एक पुल तक बनाकर नहीं दे सकी. तो ग्रामीणों मिलकर ये साहस दिखाया.  हाथ में फावड़ा लिए गांव के युवक अपने बच्चों को सकुशल स्कूल और आंगनबाड़ी पहुंचाने व उनके भविष्य गढ़ने मदद करने में लगे हुए हैं. तो कुछ पुल बनाने के लिए बांस बीम बनाकर पुल को सहारा देने का काम में लगे हैं. तो वहीं कुछ ग्रामीण उस बीम में पत्थर डाल कर उसे मजबूती प्रदान कर रहे हैं.

 

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक स्टेटमेंट दिया था, कि गांव गांव तक बिजली पहुंच गई है, लेकिन ये ग्रामीण उन इलाकों से बिजली खम्बा अपने कंधों से उठाकर लाये. जहां सरकार ने लाख दावे किए की बिजली पहुंच गई है. इन खम्बों से बिजली तो नहीं पहुंची पर इन खम्बों से ग्रामीणों ने अपने लिए पुल का निर्माण जरूर कर लिया है.

नाला पार कर स्कूल जाते इन बच्चों को बरसात के दिनों में जान का खतरा बना रहता था. तस्वीरों और वीडियो में दिख रहा मोटरसायकल से जाता युवक एक शिक्षक है, जो बच्चों को पढ़ाने के लिए हर बरसात अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाता है. इसे देखते हुए ग्रामीणों ने स्कूल भेजने के लिए लकड़ी और टूटे हुए बिजली के खम्बे से एक पुल बनाया जो टूट गया.

फिर क्या था परिजनों ने नाले में बने पिचिंग वर्क में ही पुल बना दिया. अब इस अस्थाई जुगाड़ की बदौलत कोयलीबेड़ा ब्लाक मुख्यालय से 6 पंचायतों को जोड़ने में कामयाबी मिल गई है. ये दुर्गम इलाके बरसात के दिनों में ब्लाक मुख्यालय से कट जाते थे.

इस गांव के लोगों ने बता दिया कि उन्हें आगे आने से कोई नहीं रोक सकता भले ही सरकारी मदद मिले या न मिले.

वहीं इस गांव के हालात पर मशहूर शायर अदम गोंडवी की ये लाइनें भी बरबस ही याद आ जाती हैं –

जो उलझ कर रह गयी है फाइलों के जाल में
गाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल में 

उम्मीद है जिरामतराई  के लोगों की मेहनत और लगन का शासन सम्मान करेगा और इनकी परेशानी को समझते हुए इस नदी पर स्थाई पुल का निर्माण करेगा.

देखिए वीडियो- [embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=7S-xm1vByTI[/embedyt]