भगवान विष्णु के दो अवतार भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के देश में अनेकों चमत्कारी मंदिर है. यहां प्रभु के होने का एहसास हमेशा बने रहता है. लेकिन आज हम बता रहे हैं शिवरीनारायण के एक अनूठे बरगद के पेड़ के विषय में. इस पेड़ के पत्ते अद्वितीय है. Also read : BREAKING: मल्लिकार्जुन खड़गे बने कांग्रेस अध्यक्ष, शशि थरूर को बड़े मतों के अंतर से दी शिकस्त…

शिवरीनाराण मठ मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने बरगद का विशाल पेड़ है. इस पेड़ के प्रति श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है. सामान्यत: बरगद के पत्ते आकार में मोटे व सीधे होते हैं लेकिन इस पेड़ का हर पत्ता दोने का आकार लिए हुए है. मान्यता है कि माता शबरी ने इसी पेड़ के पत्ते को दोना बनाकर अपने बेर इसमें रखकर प्रभु श्रीराम को खिलाए थे. वट वृक्ष मंदिर में कब से है ये कोई नहीं जानता.

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आश्चर्य में डाल देंगे पत्ते

हैरत की बात यह भी है कि इस पेड़ की कलम से दूसरे पौधे तैयार किए गए, लेकिन इस स्थान के बाहर किसी भी वृक्ष में दोने के आकार की पत्तियां नहीं निकली. इस कारण इस पेड़ के प्रति लोगों की आस्था और भी ज्यादा गहरी हो गई है. श्रद्धालु इस पेड़ की पत्तियों को अपने घर के पूजा स्थान पर भी रखते हैं.

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पत्तियों का आकार कटोरे जैसा

उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है. यहां एक ऐसा पेड़ पाया जाता है जिसकी पत्तियों का आकार कटोरे जैसा है. छोटी पत्तियां चम्मच के आकार की हैं. ये पेड़ माखन कटोरी का है जिसे कृष्ण वट भी कहते हैं. ऐसा माना जाता है कि माखन चोरी करने के बाद जब कृष्ण भाग रहे थे तो उनकी मां यशोदा ने उन्हें पकड़ लिया.

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यशोदा माता की डांट से बचने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने माखन को एक पेड़ के पत्तों की कटोरी बनाकर छिपा दिया. ऐसी मान्यता है कि तभी से उस पेड़ की पत्तियों का आकार कटोरी जैसा हो गया. और उसके बाद से पेड़ की इस किस्म को “माखन कटोरी” कहा जाने लगा.

पिघल गया था पूरा माखन

ऐसा भी कहा जाता है श्रीकृष्ण ने यशोदा माता से डांट सुन ली और इसके बाद माखन पिघल गया और यह पत्तियों के बने कटोरे से बहने लगा. कहा जाता है कि इसी वजह से जब इस पेड़ के पत्तों को तोड़ा जाता है तो उसमें से एक रस निकलता है, जिसे माखन कहते हैं. कृष्ण वट के पुराने इतिहास को नया जीवन देने का काम वर्तमान में हल्द्वानी उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र कर रहा है. जो इनके नए पौधों को तैयार कर रहा हैं.

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