‘गुरु मंत्र’ अर्थ- गुरु ही मनुष्य के जीवन का ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान कल्याण, बुद्धि-विचार का विकास और अनुशासन, मार्गदर्शन से जीवन को सफल बनाने का पथ दिखाता है. इसलिए गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही महेश अर्थात भगवान शिव हैं. साक्षात परब्रह्म परमात्मा ही हमारे उद्धार के लिए गुरु रूप में प्रकट होते हैं और ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं. अत: मैं ऐसे महान प्रणाम करता हूँ. Read More – बिना 1 रुपए लिए इन बॉलीवुड स्टार्स ने किया है फिल्म में काम, लिस्ट में शामिल हैं कई दिग्गज एक्टर्स …

गुरुब्र्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर: ।
गुरु: साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम: ॥

गुरु बिना ज्ञान नहीं मिलता, ये हम सब जानते हैं. इसलिए भगवान से भी ऊपर स्थान धर्म शास्त्रों ने गुरु को दिया गया है. हिन्दू धर्म के मानने वाले ये बात तो जानते ही हैं कि मंत्रों में ईश्वरीय शक्ति की ऊर्जा छुपी होती है और किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र अपना प्रभाव दिखाता है, लेकिन अगर वही मंत्र किसी गुरु से मिले तो जप के परिणाम अद्भुत होते हैं.

ये जरूरी नहीं है कि गुरु मंत्र कोई ऐसा मंत्र हो बहुत गुप्त या विशिष्ट मंत्र हो. गुरु मंत्र ऐसा मंत्र भी हो सकता है जिसे यादातर लोग जानते हों, उदाहरण के लिए : गायत्री मंत्र, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, ओम नमो भगवते वासुदेवाय, राम नाम का जप, सीताराम, राधे-राधे आदि. Read More – Breakfast Recipe : नाश्ते में बनाएं टेस्टी दलिया टिक्की, जानें इसकी रेसिपी …

गुरु मंत्र की बड़ी भारी महिमा

गुरु मंत्र देने वाले गुरु पर भी शिष्य की प्रगति की जिम्मेदारी होती है, इसलिए मंत्र हर किसी को नहीं दिया जा सकता. इसलिए है क्योंकि गुरु मंत्र में गुरु परंपरा के गुरुओं का तेज और प्रभाव होता है. गुरु द्वारा बताए गए नियम के अनुसार मंत्र का नियमपूर्वक जाप किया जाए, तो दैवीय आशीर्वाद व आध्यात्मिक प्रगति कम समय में, आसानी से मिलने लगती है.