रायपुर- छत्तीसगढ़ बीजेपी संगठन क्या बिखराव की ओर है? क्या पार्टी के तमाम बड़े नेताओं के बीच की खाई बढ़ती जा रही है? दरअसल यह सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि प्रदेश में चल रहे संगठन चुनाव में गुटबाजी उभरकर सामने आ गई है. आलम यह है कि संगठन के बड़े चेहरों के बीच टकराव खुलकर सामने आ रहा है. पार्टी नेताओं का झगड़ा इस कदर तेज हो गया है कि एक घड़े ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से कर दी है. ऐसे में संगठन के भीतर ही यह चर्चा आम हो गई है कि सत्ता जाने के साथ ही आंतरिक गुटबाजी को रास्ता मिला और यह खुलकर जाहिर होती चली जा रही है.

बीजेपी के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में शुक्रवार को हुई प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में भी नेताओं की नाराजगी फूट पड़ी. पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय, विधायक अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने आला नेताओं के सामने दो टूक पूछा कि क्या दुर्ग-भिलाई केंद्र शासित प्रदेश बन गया है? आखिर क्या है कि वहां संगठन एकतरफा चलाया जा रहा है. बैठक में मौजूद सूत्र इस बात की तस्दीक करते हैं कि नेताओं की नाराजगी चरम पर थी. इस बीच ही प्रेमप्रकाश पांडेय ने बैठक ले रहे प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक समेत तमाम आला नेताओं को भी घेरे में लेते हुए कहा कि आप लोग जो बैठे हैं, हमेशा केंद्र का सहारा लेकर मामले को लटकाने का प्रयास करते हैं. यह मामला दिल्ली जाना ही नहीं चाहिए था. यहां बैठकर ही इसका समाधान ढूंढा जा सकता था. प्रदेश अध्यक्ष यहां बैठे हैं, नेता प्रतिपक्ष यहां है, यदि ये चाहते तो यही मामला निपटा लिया जाता. नाराजगी को भांपते हुए डाक्टर रमन सिंह ने कहा कि दुर्ग जिले में हुए संगठन चुनाव में उभरी नाराजगी को लेकर प्रदेश पदाधिकारियों की एक टीम वहां जाकर जांच कर लेगी. सूत्र बताते हैं कि संगठन नेताओं में सिर फुटौव्वल की स्थिति के बीच पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री रामप्रताप सिंह ने बीच का रास्ता निकालते हुए सुझाव दिया कि दुर्ग, भिलाई में जहां चुनाव हुुए हैं, उसे अभी न तो निरस्त किया जाए और ना ही उसे वैलिड माना जाए. यथा स्थिति रखी जाए. यही बेहतर होगा. आगे इस मामले में देखते हैं.

दरअसल छत्तीसगढ़ में इन दिनों बीजेपी के संगठन चुनाव चल रहे हैं. मंडल अध्यक्ष का निर्वाचन चल रहा है. लेकिन पूरे प्रदेश से कार्यकर्ताओं की गहरी नाराजगी उभरकर सामने आ रही है. पिछले दिनों कांकेर जिले में भी आपराधिक छवि के व्यक्ति को मंडल अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध हुआ था. नतीजा यह हुआ कि प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के राजधानी स्थित बंगले पर कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. जमकर नारेबाजी की. राज्य गठन के बाद से अब तक यह पहला मौका था, जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को खुद की पार्टी के कार्यकर्ताओं की गहरी नाराजगी से गुजरना पड़ा. कार्यकर्ताओं की यह नाराजगी दूर हुई ही नहीं थी कि दुर्ग जिले में भी संगठन में बगावत फूट पड़ा. यहां कार्यकर्ता नहीं, बल्कि टकराव राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और दुर्ग सांसद विजय बघेल के बीच सामने आया. बघेल ने आरोप लगाया कि फर्जी तरीके से संगठन चुनाव चल रहे हैं. उन्होंने इसकी शिकायत अमित शाह से किए जाने की बात कही. उन्होंने बगैर नाम लिए अपने आरोप में कहा कि राष्ट्रीय स्तर के नेता की शह पर 32 बंगले में बैठकर चुनाव संपन्न कराया जा रहा है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. 32 बंगला सरोज पांडेय का सरकारी आवास है. विजय बघेल ने इस पूरे मामले की शिकायत राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से किए जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि मैंने इसकी शिकायत पार्टी फोरम में प्रदेश के बड़े नेता व राष्ट्रीय स्तर के नेताओ से की है. इस चुनाव से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में मनमाने ढंग से की गई चुनावी प्रक्रिया को लेकर गहरी नाराजगी है. कार्यकर्ता हतोत्साहित भी है. अगले चार साल हमे मजबूत विपक्ष की भूमिका निभानी है, ऐसे में अगर कार्यकर्ता निराश होंगे, तो पार्टी कैसे मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा पाएगी. दुर्ग सांसद ने आगे कहा कि इस तरह से हुए मंडल चुनाव जिसमें न लोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई गई, न ही पदाधिकारीयों और जनप्रतिनिधियों को जानकारी दी गयी.इसका नुकसान पार्टी को निगम चुनाव और आने वाले पंचायत चुनाव में भी भुगतना पड़ सकता है. विजय बघेल ने उम्मीद ने राष्ट्रीय नेतृत्व से की गई शिकायत पर विश्वास जताते हुए कहा है कि पार्टी के आलाकमान इस बारे में उचित निर्णय लेंगे, जिससे कार्यकर्ताओं को न्याय मिलेगा व पार्टी के प्रति उनका उत्साह कायम रहेगा. सांसद के अलावा विधायक विद्यारतन भसीन भी सरोज पांडेय के खिलाफ मुखर होते नजर आए. उन्होंने कहा कि मैं पिछले 50 सालों से पार्टी में काम कर रहा हूँ, कभी इस तरह का चुनाव अपने कार्यकाल में नही देखा. उन्होंने कहा कि मैं दावे के साथ कहता हूं कि यह चुनाव फर्जी है. इस तरह की प्रक्रिया राष्ट्रीय नेता के दबाव में किया गया है या दूषित मानसिकता के चलते यह मुझे नहीं पता. जिस तरह से दुर्ग लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज हुई कार्यकर्ताओं में उत्साह था ऐसे में सांसद, विधायक और पूर्व के मंत्रियों को दरकिनार कर चुनाव प्रक्रिया करवाना जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की उम्मीद में पानी फेरने जैसा है. विद्या रतन भसीन ने कहा कि ये चुनाव रद्द होना चाहिए व संवैधानिक प्रक्रिया के तहत पदाधिकारियों का चुनाव होना चाहिए. जिससे भविष्य में पार्टी को मजबूती मिल सके व जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में उत्साह कायम रहे. भसीन से जब उस राष्ट्रीय नेता का नाम पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह संगठन पहले भी हमारी राष्ट्रीय महामंत्री के कहने से चलता था अब भी चलता है.

इधर संगठन चुनाव में उभर रही गुटबाजी और विरोध की स्थिति को देखते हुए पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने कहा था कि पूरे प्रदेश में बड़े स्केल पर चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. कुछ जगहों पर विवाद की स्थिति है, इसे जल्द सुलझा लिया जाएगा. संगठन चुनाव में कहीं न कहीं ऐसी स्थितियों से गुजरना पड़ता है. इस विवाद को जल्द सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि  मंडल स्तर पर पर्यवेक्षक बनाये है. उनसे रिपोर्ट लिया जाएगा.

बगावत की तस्वीर देखकर तो वाकई नहीं लगता कि इन दिनों छत्तीसगढ़ बीजेपी संगठन में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा हो. भूपेश सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्ष बनने की बजाए संगठन के नेता आपस में भीड़ रहे हैं. बहरहाल संगठन के भीतर भी यह चर्चा आम है कि यह महज टकराहट की शुरूआत है. सत्ता में रहते हुए बीजेपी के भीतर नेताओं के बीच के टकराव की महज चर्चाएं ही थी, लेकिन अब यह टकराव अलग-अलग रास्तों से बाहर आ रहा है. वक्त रहते यदि बीजेपी इसे संभाल नहीं सकी, तो यकीनन सत्ता में बैठी कांग्रेस के लिए यह बेहद सुकून देना वाला पल साबित होगा.