रायपुर। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी मनाई जाती है. इसे रूप चौदस के नाम से भी जानते हैं और दीवाली के एक दिन पहले रूप चतुर्दशी मनाई जाती है.

इसके पीछे कथा है कि प्राचीन समय में हिरण्यगर्भ नाम के एक राजा हुए. उन्होंने राज-पाठ छोड़कर भगवान की घोर तपस्या की. इसके कारण उनके शरीर में कीड़े पड़ गए और शरीर कुरूप हो गया. इससे वे बहुत दुखी हुए. उसी समय वहां से नारद मुनि गुजर रहे थे. उन्होंने
हिरण्यगर्भ से उनके दुख की वजह पूछी.

नारद मुनि के द्वारा पूछने पर हिरण्यगर्भ ने बताया कि घोर तपस्या के कारण उनकी ये दशा हुई है. तब नारद मुनि ने उन्हें कहा कि अगर वे
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को व्रत करें और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करें, तो फिर से उन्हें सौंदर्य की प्राप्ति होगी.

इसके बाद हिरण्यगर्भ ने कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सूर्योदय से पहले शरीर पर लेप लगाकर स्नान किया. फिर पूरे विधि-विधान से कृष्ण जी की पूजा-अर्चना की. इससे उनका शरीर सुंदर और स्वस्थ हो गया.