organic farming: रायपुर. फल-सब्जियों में रोजाना हम चार-पांच सौ प्रतिशत अधिक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं. कीटनाशकों के इन भयंकर परिणामों को दुनिया भांप चुकी है और संभवत: यही वजह है कि आर्गेनिक फार्मिंग अर्थात् जैविक खेती के नाम पर दुनियाभर में बड़ी-बड़ी कंपनियां मुनाफा बटोरने में जुटी हुई है. सेहत का ख्याल रखते हुए अब किसानों को भी समझ आ गया है. ऐसे अनाज को उगाने से कुछ समय लाभ तो मिलेगा, लेकिन आने वाली पीड़ी खत्म हो जाएगी. लोगों का काफी बड़ा तबका ऐसे आर्गेनिक अनाजों की अधिक कीमत देने के लिए तैयार रहता है. यह जैविक खेती के महत्व को ही दर्शाता है.
भारत में ही हुआ करती थी वैदिक खेती
हजारों वर्ष पहले से ही प्राचीन भारत में जो वैदिक खेती होती आयी है, आज की जैविक खेती उसी का आधा-अधूरा रूप है. उस खेती में प्राकृतिक साधनों के जरिए खेती की जाती थी, पेड- पौधों के अवशेषों के साथ ही गोवंश को पूरी अर्थव्यवस्था का आधार माना जाता था. प्राकृतिक संसाधनों के अलावा मौसम के तहत विभिन्न ग्रह-नक्षत्रों में जोतने, बोने और फसल के पकाने तक के विशेष विधान थे. इतिहास को खंगालें तो पता चलेगा कि अंग्रेजों के शासन के समय भी भारत खेती के मामले में उन्नत कृषि उत्पादक देश की श्रेणी में आता था. यही वजह थी कि अंग्रेज यहां का उगाया हुआ अन्न अपने देश भेजते थे. इस स्थिति में बदलाव तब आया जब आजादी के बाद जनसंख्या का दबाव बढऩे लगा. हम अपनी खाद्यान्न की जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों की ओर ताकने लगे. यही नहीं, विज्ञान के नाम पर उनकी टैक्नोलाजी को अपनाने लगे.
देशभर में किसान उगा रहे जैविक फसल
देश में उत्तर से दक्षिण तक जैविक खेती की बयार चल पड़ी है. किसान जैविक खेती करने लगे हैं। इस रुझान के चलते राज्य सरकारें भी ऐसे किसानों की भरपूर सहायत कर रही है. उत्तर-पश्चिम में हिमाचल, पश्चिम में महाराष्ट्र, दक्षिण में आंध्र और तमिननाडु के अनेक क्षेत्रों में ऑर्गेनिक खेती की जोरशोर से पहल हो रही है. इससे किसानों को उनके मुताबित दाम भी मिल रहे हैं.
तेलंगाना का पहला जैविक गांव
भारत का एक गांव आज पूरी तरह कैमिकल मुक्त हो चुका है. यहां ना तो खेती रसायनों का इस्तेमाल होता है और ना ही रोजमर्रा के कामों में. यहां पर हर काम पर्यावरण को ध्यान में रखकर ही किया जाता है. तेलंगाना की स्थिति इस कैमिकल फ्री गांव इनभावी में घुंसते ही पत्थर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कैमिकल फ्री गांव. इसे तेलंगाना का पहला जैविक गांव भी कहते हैं. हैदराबाद से 85 किमी दूर स्थित इनभवी गांव के लोगों को 15 साल पहले ही जैसे भविष्य दिख गया था. सभी ने मिलकर जैविक खेती करने का फैसला किया. ऐसी खेती जो पूरी तरह प्रकृतिक के अनुरूप हो और कीटनाशक-रसायनों का कोई इस्तेमाल ना हो.
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