कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर की युवती नम्रता ने स्ट्रीट डॉग्स के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी. 5 साल की उम्र से ये युवती डॉग्स के लिए सेवा का काम कर रही है. अपनी शर्त पर शादी की जिसके तहत शादी के बाद पति के घर 15 स्ट्रीट डॉगी को लेकर पहुंची. आज इसने ग्वालियर में तीन मंजिला घर बनाया है. जिसमें 20 से ज्यादा स्ट्रीट डॉगी रहते हैं. महिला दिवस (Happy Women’s Day 2023) पर आज उन्हीं की कहानी बताएंगे.

यह ग्वालियर में रहने वाली नम्रता सक्सेना है. 5 साल की उम्र से ही इनको कुत्तों से खास लगाव रहा. जब बड़ी हुई तो इन्होंने अपने पिता के घर ही स्ट्रीट डॉगी को पालना शुरू कर दिया. जहां भी इन्हें डॉगी घायल मिलता है, उसे उठाकर अस्पताल ले जाती. ठीक होने पर अपने घर ले आती. बेजुबानों के खिलाफ कहीं हिंसा होती तो नम्रता मैदान में लड़ने के लिए पहुंच जाती. जब रिश्ता तय हुआ तो होने वाले पति से यह शर्त रखी कि वह अपने 15 स्ट्रीट डॉगी को साथ लेकर ही ससुराल आएंगी. पुलिस में नौकरी करने वाले पति ने शर्त मानी नम्रता अपने साथ डॉगी लेकर आई.

ग्वालियर के पॉश एरिये में स्थित ससुराल और आसपास के लोगों को जब नम्रता के स्ट्रीट डॉग्स से दिक्कत होने लगी तो फिर नम्रता ने कोटेश्वर इलाके में 3 मंजिला आलीशान मकान बना लिया. जिसमें वो 20 स्ट्रीट डॉग्स के साथ रहती है. साथ ही आसपास के 50 से ज्यादा डॉग्स के लिए भोजन व्यवस्था करती है. नम्रता स्ट्रीट डॉग्स को बच्चों की तरह प्यार करती है. अपने ही किचन में उनके लिए खाना बनाती है. शहर में कहीं भी स्ट्रीट डॉगी के खिलाफ हिंसा होती है तो वह पहुंच जाती है. नम्रता कहती है कि वो पूरा जीवन बेजुबानों की सेवा में बिताना चाहती है. नम्रता का सपना है कि को ग्वालियर में स्ट्रीट डॉग्स के लिए शेल्टर हाउस और शमशान बनाना चाहती है.

नम्रता के सेवा भाव को देखकर उसके पति भी उसकी मदद करते हैं. पुलिसकर्मी पति की तैनाती बैतूल में है, लेकिन वह हर महीने नम्रता को इन बेजुबानों की देखभाल के लिए पूरी रकम भेजते हैं. नम्रता के जज्बे को देखते हुए उसके साथ कई और युवा युवतियां जुड़ गए हैं, जो इन बेजुबानो की सेवा करते हैं. जब कभी शहर में कहीं बेजुबान के खिलाफ हिंसा होती है तो नम्रता और उसके साथी पहुंच जाते हैं जो बेजुबानों के लिए लड़ाई लड़ते हैं.

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युवा भी नम्रता के काम से प्रेरित होकर अब आगे आने लगे हैं. ये युवा स्ट्रीट डॉगी के लिए भोजन व्यवस्था से लेकर घायल या अन्य जगह आपातकालीन स्थिति में फंसे डॉगी को रेस्क्यू करने में पूरी मदद करते हैं. आज के दौर में जब युवा युवती अपना करियर बनाने और परिवार को सवारने में जीवन लगाते हैं. वही ग्वालियर की नम्रता अपने जीवन को इन बेजुबानों की सेवा में लगा रही है, जो मानवीय संवेदना की मिसाल है.

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