रायपुर। देश के हर नागरिक उपभोक्ता हैं, क्योंकि रोजाना कुछ न कुछ लेन-देन जरूर करते हैं. कई बार लोग कोई सामान खरीदता है और उनको सही चीज नहीं मिलती है. वहीं कभी-कभी वस्तु की वास्तविक कीमत से ज्यादा पैसे दुकानवाला वसूल लेता है. भारत सरकार ने उपभोक्ताओं के पक्ष में कई कानून बनाया है. उपभोक्ता जानकारी का अभाव की वजह से सही जगह शिकायत नहीं कर पाते है. लोगों को चाहिए कि अपने अधिकारों को लेकर सजग हो.

उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत भारत में 1966 में महाराष्ट्र से हुई थी. वर्ष 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद अनेक राज्यों में उपभोक्ता कल्याण के लिए संस्थाओं का गठन किया गया. 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बार देशभर में लागू हुआ. 20 जुलाई 2020 को इस कानून में संशोधन कर ग्राहकों को और अधिक सशक्त, सक्षम बनाने की कोशिश की गई है.

कहीं भी कर सकते हैं केस दर्ज

अब उपभोक्ताओं के लिए बंधन नहीं है. किसी भी कमिशन में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जबकि पहले ऐसा नहीं था. केस वहीं दर्ज होता था जहां सामान बनाने वाले या सर्विस देने कंपनी का दफ्तर हो. नए कानून में ई-कॉमर्स कंपनियों को शामिल किया गया है. यानी अब ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को उत्पाद या सेवा के लिए कस्टमर केयर के सहारे बैठने की जरूरत नहीं, अपनी शिकायत और जगह भी दर्ज कर सकते हैं.

भ्रामक विज्ञापन करने पर सिलेब्रिटीज को होगी सजा

अब भ्रामक विज्ञापन करने पर सिलेब्रिटीज को भी सजा और जुर्माने का प्रावधान लागू किया गया है. ऐसे में सेलिब्रिटीज अब बेहद रही सोच समझकर विज्ञापनों का चयन करेंगे. पहले भ्रामक विज्ञापनों के लिए सेलिब्रिटी की जवाबदेही तय नहीं थी.

मिलावट पर 6 महीने की सजा, मौत हुई तो उम्रकैद

खाने-पीने की चीजों में मिलावट होने पर कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान है. मिलावट के मामले में 6 महीने की सजा, जबकि मिलावट के चलते ग्राहक की मौत पर उम्रकैद की सजा हो सकती है. वहीं अब बेचने वाला भी इस कानून के दायरे में होगा है. अगर कोई दुकानदार सामान को तय एमआरपी से ज्यादा पर बेच रहा है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है.

ग्राहकों को अब प्रोडक्ट लायबिल्टी

पहले किसी खराब उत्पाद पर सिर्फ उसकी तय रकम और थोड़ा हर्जाना मिलता था जो कई मामलों में तो तय ही नहीं थी. लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर प्रोडक्ट लायबिल्टी तय कर दी गई है. वहीं अगर एक कंपनी के खिलाफ उसके उत्पाद की अलग-अलग मामले कई जगह हैं तो अब बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत में भी क्लास एक्शन सूट से डरना होगा. क्लास सूट के अंतर्गत एक जैसे मामलों का सामना कर रहे निवेशकों को एक साथ आने और एक मुकदमे में शामिल होने का मौका दिया जाता है.

अब जिला आयोग 1 करोड़ तक की शिकायत

पहले जिला स्तर पर 20 लाख रुपए तक, राज्य स्तर पर एक करोड़ रुपए तो वहीं इससे ज्यादा रकम के मामलों की शिकायत राष्ट्रीय स्तर पर सुनवाई की जा सकती थी, अब जिला आयोग का मूल आर्थिक क्षेत्र 1 करोड़ तक हो गया है, 10 करोड़ तक की धनराशि के मामले राज्य आयोग सुनेगा. वहीं कंस्यूमर फोरम को और सुदृढ़ बनाने के साथ ही इसे कंस्यूमर कमीशन कर दिया गया है.