राकेश चतुर्वेदी, भोपाल/पाटण। गुजरात के पाटण में स्थित प्रसिद्ध विश्व धरोहर बावड़ी को रानी की ‘वाव’ कहा जाता है. 1063 में सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव प्रथम की याद में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने वाव का निर्माण करवाया था. 22 जून 2014 को यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया. इस चित्र को जुलाई 2018 में RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) ने ₹100 के नोट पर प्रिंट किया. भारतीय रिजर्व बैंक ने 100 रुपए के नोट में पाटण में बनी ‘रानी की वाव’ को दिखाया है. हल्के बैंगनी रंग के इस नोट पर बनी वाव अद्भुत तो है ही, साथ ही ऐतिहासिक घटनाओं को समेटे हुई है.

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वाव 64 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी और 27 मीटर गहरी है. ये सरस्वती नदी के तट पर बनी है. वाव में 30 किमी लंबी रहस्यमयी सुरंग है, जो पाटण के सिद्धपुर में जाकर निकलती है. ऐतिहासिक बावड़ी की नक्काशी, और कलाकृति की खूबसूरती यहां आने वाले पर्यटकों का दिल खुश कर देती है. बावड़ी की वास्तुकला एक उल्टे मंदिर की तरह दिखती है. दरअसल बावड़ी को उल्टे मंदिर की तरह डिजाइन किया गया है. इसमें सात स्तर की सीढ़ियां हैं जो पौराणिक और धार्मिक कल्पनाओं के साथ खूबसूरती से उकेरी गई हैं. खूबसूरत नक्काशियों में प्राचीन और धार्मिक चित्रों को उकेरा गया है.

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बावड़ी के अंदरूनी दीवारों में लगभग 800 से अधिक मूर्तियों को उकेरा गया है. इन दीवारों और स्तभों पर भगवान विष्णु की नक्काशियां हैं, साथ ही अन्य मूर्तियां ऋषियों, अप्सराओं और ब्राह्मणों की भी हैं. रानी वाव अपनी ऐतिहासिक चीजों से लोगों को बेहद आकर्षित करती है. ऐसा माना जाता है कि लगभग 5 दशक पहले, बावड़ी में औषधीय पौधे और संग्रहीत पानी का उपयोग वायरल बुखार और अन्य बीमारियों को ठीक करने में किया जाता था.

1940 में ‘रानी की वाव’ को दोबारा खोजा गया 

पुरातत्वविद् हेनरी कूसेंस और जेम्स बर्गेस ने 1890 के दशक में इसका दौरा किया था। जब यह पूरी तरह से रेत और मिट्टी के नीचे दब गई थी. केवल कुछ स्तंभ दिखाई दे रहे थे. 1940 के दशक में बावड़ी को फिर से  खोजा गया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे 1980 के दशक में बहाल किया था. 

इसका किताबों में वर्णन  

जैन भिक्षु, मेरुतुंगा की 1304 रचना में उल्लेख है. नरवराह खंगारा की बेटी उदयमती ने पाटण  में इस बावड़ी का निर्माण किया था. इसी रचना में यह भी उल्लेख है कि बावड़ी को 1063 में शुरू किया गया था और 20 वर्षों के बाद पूरा किया गया था.

lalluram.com की टीम पहुंची गुजरात के पाटण 

विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत lalluram.com की टीम गुजरात के पाटण पहुंची।  रानी की वाव जानने के लिए टीम अहमदाबाद से बाय रोड निकली. करीब 130 किमी चलकर रानी की वाव पहुंची. बता दें कि मेहसाणा से यह 65 किमी की दूरी पर स्थित है। गुजरात टूरिज्म की गाड़ियों के साथ टैक्सी और निजी वाहनों से पाटण जा सकते हैं।  खास बात यह है कि पाटण में रहने के लिए बहुत सारे होटल हैं। तो आप भी जब कभी गुजरात जाए तो इस ऐतिहासिक धरोहर को जरुर देखें. 

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