रायपुर- पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल अपनी ही पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर बुलाई गई रणनीतिक बैठक में रायपुर में रहने के बावजूद वह शामिल नहीं हुए. हालांकि संगठन की ओर से बैठक की सूचना उन्हें दे दी गई थी. खबर है कि जिस वक्त एकात्म परिसर में आला नेताओं की बैठक चल रही थी, उस दौरान बृजमोहन अपने बंगले में कार्यकर्ताओं से मिल रहे थे. इस बैठक में प्रदेश प्रभारी अनिल जैन, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री सौदान सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, केंद्रीय राज्यमंत्री विष्णुदेव साय जैसे आला नेता मौजूद थे.

छत्तीसगढ़ में चुनाव में मिली करारी हार के बाद से संगठन का एक बड़ा धड़ा नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठा रहा है. दरअसल नाराजगी की कई वजहें बताई जा रही है. सबसे बड़ी वजह लोकसभा चुनाव को लेकर दी गई जिम्मेदारियों को लेकर है. पार्टी का प्रभावशाली धड़ा इसे लेकर खुश नहीं है. बीजेपी संगठन ने 11 लोकसभा सीटों के लिए तीन क्लस्टर बनाए हैं. इन क्लस्टरों की जिम्मेदारी राजेश मूणत, केदार कश्यप और अमर अग्रवाल को सौंपी गई है. लोकसभा प्रभारी और संयोजक इन क्लस्टर प्रभारी के नीचे काम करेंगे. कई नेता ऐसे हैं, जो चुनाव जीतकर आए हैं और संगठन में क्लस्टर प्रभारियों की तुलना में ज्यादा सीनियर है, बावजूद इसके उन्हें नीचे काम करना होगा. संगठन के सूत्र बताते हैं कि बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, प्रेमप्रकाश पांडेय, रामविचार नेताम समेत दर्जनों बड़े नेता ऐसे हैं, जो इस निर्णय के विरोध में है.

चर्चा है कि प्रभावशाली धड़े में शामिल और हाल के चुनाव में निर्वाचित विधायकों ने अब यह मन बना लिया है कि जिस तरीके से संगठन में वरिष्ठता को नजरअंदाज किया जा रहा है, ऐसे वह भी अपनी विधायकी तक ही सीमित होकर काम करेंगे. संगठन के फैसलों में उनकी भागीदारी नहीं होगी. किसी भी रणनीतिक फैसलों में वह पिछली पंक्ति में शामिल होंगे. बृजमोहन अग्रवाल जैसे कद्दावर नेताओं का बैठक में शामिल नहीं होना भी इस ओर इशारा करता है.

कार्यकर्ताओं पर हार का ठीकरा फोड़ने से लेकर कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने तक विरोध

बीजेपी के भीतर इस बात को लेकर प्रबल चर्चा है कि संगठन में उपजी विवाद की स्थिति की कई वजह है.  पहली वजह यह है कि चुनाव में मिली शिकस्त का ठीकरा आला नेताओं ने कार्यकर्ताओं पर फोड़ा, जबकि इसकी नैतिक जिम्मेदारी खुद ही लेनी थी. दूसरी वजह नेता प्रतिपक्ष के चुनाव को लेकर बताई जाती है. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के 15 में से 12 विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का विरोध किया था, लेकिन समीकरणों का हवाला देकर विरोध के बावजूद कौशिक नेता प्रतिपक्ष बनाए गए.

….तो ऐसे में एक भी सीट नहीं जीतेगी बीजेपी

इधर एकात्म परिसर में लोकसभा चुनाव की तैयारी से जुड़ी बैठक में एक वरिष्ठ विधायक जब संगठन के रवैये पर फट पड़े, तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर जिस तरह से फैसले पार्टी में लिए जा रहे हैं, यदि ऐसे ही हालात बने रहे, तो आने वाले लोकसभा चुनाव में एक भी सीट बीजेपी नहीं जीतेगी.