रायपुर. आरबीआई ने चेक बाउंस के अपराध में सजा के प्रावधान को और कड़ा कर दिया है. इसमें खाता बंद करने के साथ ही चेक बुक को नहीं जारी करना शामिल है. आरबीआई ने बैंकों से उन ग्राहकों से सख्ती से पेश आने को कहा है जिनके चेक लगातार बाउंस होते रहते हैं. अब ऐसे ग्राहकों को बैंक नई चेक बुक जारी नहीं करेगा. वहीं चालू खाताधारकों का खाता बंद कर दिया जाएगा. आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि एक वित्तीय वर्ष में चार बार चेक बाउंस होने पर ऐसा प्रावधान किया जाए.

अब नए नियम होंगे लागू

अदालत में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को नुकसान ना हो, इसलिए 20 फीसदी अंतरिम राशि का 60 दिन के भीतर भुगतान किए जाने की अनिवार्यता होगी. अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है. उन्होंने आगे कहा कि चेक बाउंस होने पर सजा की व्यवस्था है, लेकिन इस तरह के मामलों में अपील करने का प्रावधान होने के कारण लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. चेक बाउंस का मुकदमा लोक अदालत में लाने के लिए सरकार कानून में बदलाव करने की सोच रही है. हालांकि इसका फैसला अब 23 मई के बाद लिया जाएगा. जब नई सरकार सत्ता में आएगी. इसके साथ ही मुकदमें का खर्चा भी डिफॉल्टर के ऊपर लगाया जाएगा.

चेक बाउंस पर भारी जुर्माना और जेल

चेक बाउंस होने पर इस गलती पर बैंक 800 रुपये तक की राशि आपके खाते से काट लेते हैं. चेक बाउंस दो तरीके से होता है. पहला खाते में राशि का कम होना और दूसरा, किसी तरह की तकनीकी गलती का होना जैसे हस्ताक्षर में बदलाव, शब्दों में गलती होना आदि. चेक बाउंस होने पर बैंक 800 रुपये तक का जुर्माना वसूलते हैं. एसबीआई 500 रुपये प्लस जीएसटी वसूल करता है. अगर किसी तकनीकी खामी की वजह से चेक रिटर्न हुआ तो बैंक 150 रुपये प्लस जीएसटी का चार्ज लेता.

दो साल की हो सकती है जेल

चेक बाउंस भारत में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 में हुए संशोधन के बाद सेक्शन 138 के तहत अपराध माना जाता है. चेक बाउंस होने पर दो साल तक की जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना तक जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है. इसके तहत अगर अपर्याप्त बैलेंस के चलते चेक बाउंस होता है तो मुकदमा दर्ज किया जा सकता है.