रायपुर. पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के रेडियोडायग्नोसिस विभाग और मस्कुलोस्केलेटल सोसायटी ऑफ इंडिया व इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (आईआरईए) छत्तीसगढ़ चेप्टर के संयुक्त तत्वाधान में डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के टेलीमेडिसीन हाल में रविवार को मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड पर एकदिवसीय सीएमई (कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन) व वर्कशॉप का आयोजन किया गया. इस आयोजन में देश के विभिन्न हिस्सों से आए रेडियोलॉजिस्ट द्वारा शरीर के मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम की समस्याओं की जांच व निदान के लिये मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड के महत्व के बारे में लाइव डेमोंस्ट्रेशन के जरिये बारीकी से बताया गया.

लाइव वर्कशॉप के साइंटिफिक सेशन में डॉ. महेश प्रकाश (प्रोफेसर रेडियोलॉजी पीजीआई चंडीगढ, प्रेसीडेंट मस्कुलोस्केलेटल सोसाइटी ऑफ इंडिया) ने बताया कि एमआरआई इमेजिंग की तुलना में मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड शरीर के प्रमुख जोड़ों, मुलायम उत्तकों और हाथ पैर की हड्डियों से सम्बन्धित बीमारियों का पता लगाने के लिए बेहद आसान तरीका है. विशेषकर स्पोट्र्स इंजरी में ज्वाइंट पैथोलॉजी के लिये यह बेहद कारगर तकनीक है. विजयवाड़ा से आये रेडियोलॉजिस्ट डॉ. वाराप्रसाद वेमुरी (विजयवाड़ा) ने कंधे, कलाई और घुटने के अल्ट्रासाउंड के जरिये बताया कि ऐसे मरीज जो एमआरआई मशीन में जाने से घबराते हैं उनके मांसपेशियों की समस्याओं की जांच मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड से आसानी से की जा सकती है.

मेरठ से आयी रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सोनल सरन ने बताया कि इम्प्लांट वाले पेशेंट और पेसमेकर वाले पेशेंट के पीठ दर्द व रीढ़ की समस्याओं के लिये एमआरआई इमेजिंग के बजाय अल्ट्रासाउंड सुविधाजनक है. अल्ट्रासाउंड मशीन पोर्टेबल होने के कारण गंभीर मरीजों के लिये बेडसाइड अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी रहती है. मुलायम ऊतक जैसे- मांसपेशियों, टेंडन और लिगामेंट्स, हाथ पैरे की हड्डियां, गठिया के विकार, कंधे और पैर के फ्रैक्चर वाले रोगियों के लिये मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड बेहतर विकल्प है.

रेडियोलॉजिस्ट डॉ. राम कृष्ण (हैदराबाद) ने बताया कि इसमें कोई रेडियेशन नहीं होने से किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है. दूसरी महत्वपूर्ण बात है कि एमआरआई व सीटी स्कैन के मुकाबले जांच में कम खर्च आता है. ऐसे स्थान जहां एमआरआई व सीटी स्कैन की सुविधा नहीं है. वहां मस्कुलोस्केलेटल अल्ट्रासाउंड के माध्यम से मांसपेशियों व हड्डियों के विकारों की जांच व निदान की जा सकती है. सीएमई व वर्कशॉप के संरक्षक (पेट्रोन) प्रो. डॉ. ए. के. चंद्राकर (कुलपति आयुष विवि), डॉ. आभा सिंह (अधिष्ठाता मेडिकल कॉलेज), सह संरक्षक (को-पेट्रोन) डॉ. विवेक चौधरी(अधीक्षक अम्बेडकर चिकित्सालय), आयोजक अध्यक्ष डॉ. पारस जैन व डॉ. एस. बी. एस. नेताम तथा आयोजक सचिव डॉ. विवेक पात्रे रहे.