हेमंत शर्मा, भोपाल/इंदौर। भारत ने तालिबान से औपचारिक बातचीत शुरू कर दी है. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किए जाने के बाद भारत ने आधिकारिक तौर पर तालिबान से बातचीत की है. इसी बीच इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार पर तंज कसा है. दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए भारत सरकार पर आरोप लगाया है कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अमेरिका के दबाव में पहले से चर्चा कर रहे थे. वहीं उनके इस बयान पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पलटवार किया हैं.

दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट पर कैलाश विजयवर्गीय ने पलटवार किया है. तालिबान के साथ भारत की मीटिंग की आलोचना को लेकर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जिस विषय में जानकारी नहीं हो उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति काफी मजबूत है और अभी तक जिस तरह से उन्होंने विदेश नीति को लेकर काम किया है, उससे पूरी दुनिया में भारत का सम्मान बहुत बड़ा है. ऐसे में देश के नेतृत्व पर कोई शंका नहीं करना चाहिए.

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दरअसल, दिग्विजय सिंह ने तालिबान से भारत की बातचीत को लेकर कई ट्वीट किए हैं. जहां उन्होंने आरोप लगाया है कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अमेरिका के दबाव में पहले से तालिबान से चर्चा कर रहे थे. दिग्विजय सिंह ने अपना 3 दिन पुराना एक ट्वीट शेयर करते हुए कहा, “अब अधिकारिक तौर पर मोदीभाजपा सरकार ने तालीबान से चर्चा करने की बात स्वीकार कर ली है. जो मैं शुरू से कह रहा था फिर सही निकला. अमेरिका के दबाव में मोदीशाह सरकार क़तार में तालीबान से पूर्व से ही चर्चा कर रही थी. मोदी भक्तों कुछ कहोगे कौन तालीबान समर्थक है?”

दिग्विजय सिंह ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, ”जैसी जानकारी मिल रही है, पाकिस्तान ने जेहादी आतंकवादियों को अफ़ग़ानिस्तान तालीबान की सुरक्षा में भेज दिया है. यदि यह सही है तो क्या मोदीशाहभाजपा सरकार तालीबान से चर्चा करते समय तालीबान के समक्ष यह शर्त रखेंगे कि वे भारत पर आतंकी हमला करने वालों को संरक्षण नहीं देंगे?”

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बता दें कि दिग्विजय सिंह ने भारत और तालिबान के बैठक को लेकर 29 अगस्त को एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने लिखा था, “अब भारत की अध्यक्षता में तालिबान को आतंकवाद की सूची से बाहर कर देने के समाचार हैं. क्या यह सही है? केंद्र सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए. पूर्व से समाचार तो आ रहे थे कि अमेरिका के दबाव में भारत सरकार तालीबान से क़तार में चर्चा कर रहा है लेकिन हमारी सरकार मौन रही.”

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बता दें पहले औपचारिक और सार्वजनिक रूप से स्वीकृत संपर्क में कतर में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने मंगलवार को तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई से मुलाकात की. उन्होंने भारत की उन चिंताओं को उठाया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

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