शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली का संकट दिन- प्रतिदिन गहराता जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों व कृषि क्षेत्रों में स्थिति बेहद खराब होती जा रही है. कई-कई घंटों की अघोषित कटौती की जा रही है. कोयले की कमी के कारण उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है. बिजली संकट पर सरकार के दो मंत्रियों के आए अलग-अलग बयान पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सफाई दी है. मिश्रा ने कहा कि उनका और ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर के बयान से बिलकुल अलग नहीं है.

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दरअसल, प्रदेश में जारी अघोषित बिजली कटौती और संकट की बात गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्वीकार्य की थी, जबकि और ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बिजली संकट को नकार दिया था. जिसको लेकर बुधवार को नरोत्तम मिश्रा ने सफाई देते हुए कहा कि उनका और ऊर्जा मंत्री का बयान बिलकुल अलग नहीं है, सिर्फ हेडिंग अलग है. 18 से 20 घंटे की कटौती नहीं है.

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नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ऊर्जा मंत्री और उनका बयान एक है. बांधों में जो पानी आना चाहिए. बारिश के कारण नहीं आया है. कोयले की कमी हुई है, लेकिन ये शिवराज सिंह चौहान की सरकार है. यह दिग्विजय सिंह की अंधेरे वाली सरकार नहीं है.

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बता दें कि ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि मध्य प्रदेश का कोई विधायक बता दे, किसके यहां 18 से 20 घंटे की बिजली की कटौती हो रही है, मैं खुद मौके पर जाकर देखूंगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसी प्रकार का बिजली का कोई संकट नहीं है और न ही बिजली की कटौती हो रही है. जबकि गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बिजली संकट को स्वीकार करते हुए कहा है कि बिजली संकट है और 5 दिन में बिजली संकट दूर हो जाएगा. बिजली संकट इसलिए है क्योंकि पावर प्लांट में तकनीकी दिक्कते आईं हैं, बारिश और कोयले की कमी के कारण बिजली कटौती हो रही है.

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