रायपुर. न्याय योजना देश की उन चुनिंदा योजनाओं में से एक हो सकती है जो विकास और तरक्की का नमूना पेश करती है. ये योजना उन गरीब परिवारों के लिए संजीवनी से कम नहीं थी.जो गरीबी में  जीवन यापन कर रहे हैं.

बता दें कि मनरेगा योजना ने देश की दिशा और दश को बदलने में महत्वपूर्ण भऊमिका अदा की थी. लोग पलायन को ही ध्येय मान चुके थे,इस योजना के आने से गांव से लोगों का पलायन कम हुआ था. लेकिन मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही  मनरेगा का गला घोंट दिया.

मनरेगा योजना अकेले इतनी सक्षम है कि इसके फिर से शुरू होने मात्र से देश का व्यापार व्यवसाय चमक उठेगा अब तो इसमे 50 दिन और बढ़ा दिए जाएंगे, देश मे मंदी की एक वजह इस योजना का शिथिल होना भी है.

अब कांग्रेस इसे 100 की बजाय 150 दिन करने जा रही है ऊपर से एक और योजना “न्याय” ला रही है इन दोनों के योग से जहां गरीबी पर जोरदार प्रहार होगा वहीं देश के व्यापार रोजगार के क्षेत्र में खुशहाली आ जाएगी.व्यवसायियों को समस्या टेक्स से नही है जितनी कि इस बात से है कि दुकानों में ग्राहक नही आ रहे.सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन दोनों ही योजनाओं से जो लाभान्वित होने वाला वर्ग है वह ऑनलाइन शॉपिंग की दुनिया से दूर है अर्थात मैनुएल है सीधे खरीदी करता है तकनीक को आधार नही बनाता.बिंदिया से चूड़ी सिंदूर और साड़ी कपड़ो से राशन पानी तक जरूरत की हर एक चीज दुकान पर पहुंचकर खरीदता है इसके चलते लोकल मार्किट में उठाव आएगा तो उसका असर ऊपर तक होगा.मनरेगा और न्याय का मेल मंदी की मार झेल रहे देश के आर्थिक जगत में करंट सी ऊर्जा पैदा करेगा.व्यापारियों में एक वर्ग जो सरकारों की बनाई नीतियों के दूरगामी परिणामो को समझता है वो “न्याय” पर कांग्रेस के साथ खड़ा है जो नही समझता वो- पैसा कहां से आएगा -जैसे सवालो में उलझकर कांग्रेस का नही उल्टे अपने ही कामधंधे के विरुद्ध जाकर बेकार की चर्चा में रत हैं.न्याय 20% कमजोर तबकों के लिए है यह बात सब को मालूम है लेकिन न्याय सम्पूर्ण भारतवर्ष में मंदी की मार झेल रहे व्यापार व्यवसाय में प्राण फूंक देगा लोगो को यह बात समझानी होगी.