संदीप सिंह ठाकुर,लोरमी. छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन की गुड़वत्ता में सुधार लाने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए है. इसके बावजूद व्यवस्था सुधरने के बजाय और बिगड़ती जा रही है. कहीं स्वसहायता समूह की मनमानी चल रही है, तो कहीं कमीशन के चक्कर में बच्चों के खाने में डाका डाला जा रहा है.

ताजा मामला मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक में साल्हेघोरी गांव से सामने आया है. जहां बच्चों को स्तरहीन मध्यान भोजन परोसा जा रहा है. जहां बच्चों को भरपेट भोजन भी नहीं दिया जा रहा है. ग्रामीण और स्कूल के टीचर कई बार इस बात की शिकायत उच्चाधिकारियों से कर चुके है, लेकिन अब तक न तो बच्चों के भोजन में सुधार आ पाया है और न तो उस समूह के उपर किसी तरह की कार्रवाई हो पाई है.

स्कूल के बच्चों ने बताया कि उन्हें खाने के मेनू के हिसाब से एक दिन भी खाना नहीं दिया जाता है. बहुत ही घटिया स्तर का खाना दिया जाता है. दाल पूरी तरह से पानी रहती है, सब्जी भी एक या दो प्रकार की दी जाती है उसमें भी मसाले का उपयोग नहीं किया जाता. साथ ही बच्चों को भरपेट भोजन नहीं दिया जाता, मांगने पर उनके द्वारा बच्चों को गालियां भी दी जाती है. बच्चो ने ये भी बताया कि स्कूल में खीर बने साल भर से ऊपर हो चुका है. न पापड़, न आचार मध्यान भोजन के मेन्यू का पालन यहां कभी किया ही नहीं जाता.

जिस स्वसहायता समूह के द्वारा बच्चों को भोजन दिया जाता है उसके द्वारा लगातार मनमानी की जा रही है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी है की टीचर की शिकायत के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है. ग्रामीणों ने भी बताया की कई सालों से बच्चों को गुड़वत्ताहीन भोजन परोसा जा रहा है. कितनी बार इसकी शिकायत सरपंच से लेकर शिक्षा अधिकारी से की गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, मसलन स्वसहायता समूह चलाने वाले अपनी मनमानी करते रहे.

छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनते ही स्कूलों से मध्यान भोजन के सेम्पल मंगाकर चेक करवाया था और अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कड़े निर्देश भी दिए थे कि जल्द ही गुड़वत्ता में सुधार लाने की बात कही थी, लेकिन अब तक व्यवस्था जस के तस बनी हुई है.