रायपुर. बस्तर की धरा को नक्सलियों ने एक बार फिर लहूलुहान कर डाला. एक बड़ी नक्सली घटना ने एक बार बस्तर को माओवाद संघर्षों के केंद्र बिंदु में ला दिया. केंद्र और राज्य सरकार को एक बार नक्सलियों ने चुनौती देते हुए 10 जवानों और एक वाहन चालक को मौत के घाट उतार दिया.

कई सालों बाद नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में एक बड़ा विस्फोट कर जवानों से भरी गाड़ी को उड़ा दिया. घटना को अंजाम मुख्य मार्ग अरनपुर थाना के करीब दिया. नक्सली मुखबिरों की सूचना पर वारदात को अंजाम देने में सफल रहे, वहीं सुरक्षा बल एक फिर सही इनपुट जुटाने में विफल रहा. खुफिया एजेंसियों की नाकामी कहिए या प्रशासनिक चूक, ये तो जांच का विषय है, लेकिन डीआरजी के जवानों को एक बार फिर किसी चूक के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी है.

इसे भी पढ़ें – हफ्तेभर में दूसरी नक्सली घटना, IED ब्लास्ट में 11 शहीद : बस्तर IG ने कहा – नक्सल विरोधी अभियान से लौट रहे थे DRG जवान, इलाके में की जा रही सर्चिंग, देखें VIDEO…

पुख्ता इनपुट नहीं होने के चलते कई बड़ी घटनाएं पहले भी हुई है और इसका बड़ा खामियाजा हमारे देश के जवानों को उठाना पड़ा है. विशेष बात यह है कि नक्सली गर्मी के मौसम में बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं.

नक्सली हमले की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियों ने जानकारी दी कि नक्सली मार्च से जून के बीच टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (TCOC) चलाते हैं. उनका मकसद ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा बलों पर हमला कर नुकसान पहुंचाना होता है. बताया जा रहा कि नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के साउथ बस्तर में टीसीओसी चलाने का प्लान नहीं बनाया है बल्कि उन्होंने काफी सालों बाद अब नए ट्राई जंक्शन के नजदीक सुरक्षा बलों पर हमला करने का टीसीओसी प्लान तैयार किया है.

एक नज़र बड़ी नक्सल घटनाओं पर

  • 2006 में एर्राबोर कैंप पर हमला कर 35 आदिवासियों को मार दिया था.
  • 2006 में सलवा जुड़ूम की रैली से लौट रहे ग्रामीणों की ट्रक उड़ा दी, जिसमें 25 मारे गए थे. 2006 में उपलमेटा में 22 जवानों की शहादत हुई थी.
  • सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के बंडा इलाके में नगा फोर्स की गाड़ी उड़ा दी, जिसमें 14 जवान शहीद हो गए थे.
  • 2008 में ही बैलाडीला की हिरोली माइंस पर हमला कर सीआईएसएफ के 8 जवानों की हत्या कर 20 टन बारूद लूट ले गए थे.
  • 28 फरवरी 2006: नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के एर्राबोर गांव में बारूदी सुरंग धमाका किया, जिसमें 25 जवानों की जान गई थी.
  • 16 मई 2006: दंतेवाड़ा के राहत शिविर पर हमला, कई ग्रामीणों का अपहरण, 29 लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
  • 15 मार्च 2007: बस्तर क्षेत्र के पुलिस बेस कैंप पर 350 नक्सलियों का हमला, सीएएफ के 15 जवान शहीद हुए थे.
  • 6 अप्रैल 2010: दंतेवाड़ा के ताड़मेटला में एक के बाद एक कई ब्लास्ट, अर्धसैनिक बल के 75 जवानों सहित 76 की जान गई थी.
  • 8 मई 2013: नक्सलियों ने पुलिस की गाड़ी उड़ाई. भारतीय अर्धसैनिक बल के 8 जवान शहीद हुए थे.
  • 25 मई 2013: दरभा की झीरम घाटी में नक्सलियों का बड़ा हमला. नक्सलियों ने इस हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का पूरा नेतृत्व ही खत्म कर दिया था. प्रदेश कांग्रेस के 25 नेताओं की मौत हुई थी. इसमें विद्याचरण शुक्ल, महेन्द्र कर्मा, नंद कुमार पटेल जैसे बड़े नेता शामिल थे.
  • 28 फरवरी 2014: झीरम घाटी में घात लगाकर नक्सलियों का हमला, सीआरपीएफ के 11 जवान और 4 पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारा दिया गया.
  • 1 मार्च 2017: नक्सली हमले में 11 कमांडो शहीद हुए थे.
  • 11 मार्च 2014- सुकमा जिले के टाहकवा़डा में नक्सली हमला, 15 जवान शहीद हुए थे.
  • 12 अप्रैल 2014- छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दरभा में नक्सली हमला, 5 जवानों समेत 14 लोगों की जान गई थी.
  • 11 मार्च 2017- सुकमा के दुर्गम भेज्जी इलाके में नक्सली हमले में 12 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे.
  • 24 अप्रैल 2017- सुकमा में नक्सलियों का हमला, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 25 जवान शहीद हुए थे.
  • 21 मार्च 2020- सुकमा जिले के मिनपा में नक्सली हमला, 17 जवान शहीद हुए थे.
  • 23 मार्च 2021: नारायणपुर में 75 जवानों से भरी बस को नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट से उड़ाया. 5 जवान शहीद हुए थे.
  • 4 अप्रैल 2021- छत्तीसगढ़ के बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर नक्सली हमला, 22 जवान शहीद हुए थे.