कुमार इन्दर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में गुरुवार को राज्य सरकार के कोरोना आपदा मामले पर एक्शन टेकन रिपोर्ट की आपत्तियों पर सुनवाई हुई. सरकार ने अपनी एक्शन टेकन रिपोर्ट जबलपुर हाईकोर्ट में पेश की थी, जिसके दावों और आपत्तियों पर हाईकोर्ट में विस्तृत सुनवाई की गई. हाईकोर्ट ने प्रदेश में निजी अस्पतालों में इलाज की दरों, सरकारी अस्पतालों में सीटी-स्कैन मशीनों की सुविधा, वैंटिलेटर्स के इस्तेमाल और कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर सरकारी तैयारियों के बिंदुओं पर विस्तृत सुनवाई की. सुनवाई के दौरान खुलासा हुआ कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 204 वेंटीलेटर सरकारी अस्पतालों के स्टोर रुम्स में बंद पड़े थे, जिन्हें बैकअप व्यवस्था बताकर अस्पतालों में इस्तेमाल ही नहीं किया गया. जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार से 10 में स्पष्टीकरण जवाब मांगा है.
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वेंटीलेटर्स के इस्तेमाल न होने से सैकड़ों मौत की आशंका
राज्य सरकार द्वारा दिए गए जवाब पर कोर्ट मित्र ने आपत्ती जताई और कोर्ट से कहा कि अगर स्टोर रूम में बंद पड़े वैंटीलेटर्स का इस्तेमाल कोरोना संक्रमण के दौरान किया गया होता तो शायद इतनी मौतें नहीं होतीं. वहीं हाईकोर्ट ने कोर्ट मित्र की आपत्ति के बाद सरकार से ये स्पष्टीकरण मांगा है कि पीएम केयर फण्ड से अस्पतालों को मिले वैंटिलेटर्स में से इतनी बड़ी तादात को मरीजों के इस्तेमाल में क्यों नहीं लाया गया. इसके अलावा सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की तर्ज पर मध्य प्रदेश में भी निजी अस्पतालों के बिलों का ऑडिट की मांग की गई. कोर्ट मित्र की ओर से ये मांग की गई कि अस्पतालों द्वारा मरीजों से वसूली गई ज्यादा राशि संबंधित मरीजों और उनके परिजनों को वापिस दिलवाई जाए.
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संभावित कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों पर जवाब
इस दौरान ये भी कहा गया कि सरकार द्वारा तय की गई कोरोना इलाज की दर, कई बड़े अस्पतालों की दरों से भी ज्यादा है. इस पर भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार का जवाब मांगा है. साथ ही हाईकोर्ट ने प्रदेश के 52 में से 48 जिलों के जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीन न होने और संभावित कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर इलाज की व्यवस्थाओं पर भी जवाब मांगा है. हाईकोर्ट को मिली जानकारी के मुताबिक सरकार तीसरी लहर के मद्देनजर सिर्फ बच्चों के लिए अस्पतालों के मौजूदा स्ट्रक्चर में ही फेरबदल करके व्यवस्थाएं कर रही है. जबकि हैल्थ सैक्टर में डॉक्टर्स की भर्ती सहित बड़े कदम उठाए जाने की जरुरत है. हाईकोर्ट ने इन तमाम बिंदुओं पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है. इसके लिए राज्य सरकार को 10 दिनों का समय दिया है. मामले पर अगली सुनवाई कोर्ट 21 जून को करेगी.
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