हेमंत शर्मा, रायपुर। जस्टिस पटनायक की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने निर्णय लिया है कि आबकारी एक्ट में 320 लोगों को जल्द रिहा किया जाएगा. सबसे पहले रिहाई सरगुजा और बस्तर से गिरफ्तार निर्दोष आदिवासियों की होगी. इसके बाद नक्सलियों के सहयोगी के तौर पर गिरफ्तार किए गए लोगों की जानकारी ली जा रही है. 20 दिनों में इसका निराकरण किया जाएगा. यह बात आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने बस्तर के जेल में बंद आदिवासियों की रिहाई को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कही.

विधायक विक्रम मंडावी और देवती कर्मा की मौजूदगी में मीडिया को जानकारी देते हुए कवासी लखमा ने कहा कि पिछली सरकार ने बहुत से निर्दोष आदिवासियों को जेल भेजा था. इस मुद्दे को मैं प्रमुखता से उठाता रहा हूं कि जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तो निर्दोष आदिवासियों को जेल से रिहा किया जाएगा. इसको लेकर एक कमेटी बनाई गई है. लगातार चुनावों की वजह से इस कार्य मे देरी हुई.

मंत्री ने बताया कि गुरुवार को मेरे साथ लगभग 35 लोगो ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपनी बात रखी है. पटनायक कमेटी में राजनीतिक व्यक्ति को भी शामिल करने की मांग की है. इस बात का उदाहरण दिया गया कि कर्नाटक में वीरप्पन के समर्थक भी जेल गए थे, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया. सुप्रीम कोर्ट का जज इसके सिंगल बेंच में शामिल होगा. सरकार की कोशिश है कि इस मामले में किसी भी तरह की कानूनी पेच ना फंसे. इस संबंध में विधानसभा चुनाव के पहले बैठक हुई थी.

लखमा ने कहा कि मामूली अपराध में फंसे आदिवासियों को जल्द से जल्द रिहा करने की कवायद चल रही है. नक्सल मामले में कम धारा वालों को पहले छोड़ा जाएगा और जिन पर बड़ी धारा लगी उन्हें थोड़े दिन बाद छोड़ा जाएगा. सभी पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाने को इसके लिए स्पष्ट निर्देश दिया जा रहा है. सब जगह से जानकारी भी मांगी गई है 20 दिन के अंदर इसकी पूरी जानकारी आ जाएगी. बस्तर से आई कमेटी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इसके लिए धन्यवाद दिया है.

उन्होंने कहा कि पालनार में आदिवासियों ने निर्दोष लोगों की रिहाई के लिए हड़ताल किया गया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बधाई देता हूं कि उन्होंने बस्तर प्राधिकरण के अध्यक्ष, देवती कर्मा और हरीश कवासी को लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए भेजा. सोनी सोरी, बेला भाटिया सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और सरपंच लोग शुक्रवार को सीएम से मुलाकात किये. उन्होंने मांग रखी है कि इस कमेटी में सामाजिक व राजनीतिक लोगों को भी शामिल किए जाए.