राजधानी से 90 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है. हालांकि पुलिस ने मामले में 32 साल के युवक को गिरफ्तार किया है. पुलिस के मुताबिक, युवक पर बीमा पॉलिसियों की मैच्योरिटी पर 10 गुना बोनस दिलाने के बहाने बुजुर्ग को ठगने का आरोप है. आरोपी की पहचान वीरेंद्र साहनी के तौर पर हुई है.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, 27 जून को 82 साल के रिटायर प्रोफेसर ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने अपनी शिकायत में दावा किया था उनसे 2019 में एक शख्स ने संपर्क किया था. उसने उन्हें खुद को आरबीआई लखनऊ डीजीएम संदीप त्यागी बताया था. जानकारी के अनुसार, शख्स ने रिटायर प्रोफेसर से कहा था कि उनकी पॉलिसियों की मैच्योरिटी हो गई है. उन्हें बदले में 90 लाख रुपए मिलने हैं. इसके बाद शख्स ने प्रोफेसर से प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में 1.5 लाख रुपए का भुगतान करने को कहा. पुलिस के मुताबिक, प्रोफेसर ने शख्स की बात मान ली. इसके बाद से वह शख्स लगातार पैसे मांगता रहा. इस तरह से प्रोफेसर ने उसे 90 लाख रुपए का भुगतान कर दिया.

लाखों की चपत लगने के बाद प्रोफेसर ने मामले की शिकायदत पुलिस से की. जांच में जुटी पुलिस ने आरोपी की लोकेशन पता लगाने की कोशिश की. पुलिस ने रेड डाली और आरोपी वीरेंद्र साहनी को गिरफ्तार कर लिया. साहनी ने पुलिस को बताया कि वह एक बीमा डेटा कलेक्शन कॉल सेंटर में काम कर रहा था और 2015 में उसने अपने 2-3 सहयोगियों की मदद से कॉल सेंटर खोलकर ग्राहकों से संपर्क करना शुरू किया. पुलिस ने कहा कि इस कॉल सेंटर में उन्होंने डेटा इकट्ठा किया और लोगों के साथ ठगी की योजना बनाई.

आरोपी ने फेक पते के आधार पर खाता खोला, ताकि धोखाधड़ी के पैसे को निकाला जा सके. 2016 में साहनी का अपने साथियों के साथ झगड़ा हो गया, तब से वह अकेले काम करने लगा है. जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि साहनी ने बेंगलुरु में भी देसी राजू सुंदर शिवा राव के साथ 50 लाख की ठगी की थी. इसके बाद साहनी ने वडोदरा के जावेद भाई पटेल को निशाना बनाया और उनसे 20 लाख रुपए ठगे. साहनी कुल बचत पर 10 से 20 गुना मैच्योरिटी या बोनस बेनिफिट का ऑफर देकर अपने टारगेट को लुभाता था. पुलिस के मुताबिक, साहनी लोगों का विश्वास जीतने के बाद लोगों से प्रोसेसिंग फीस के नाम पर पैसे मांगता था. पुलिस ने उसके पास से एक लग्जरी कार, 15 लाख रुपए की डायमंड ज्वेलरी और बैंक अकाउंट में 2.5 लाख रुपए बरामद हुए हैं.