डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया..
पिछले दिनों की बात है. बीजेपी के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इतनी शराब पी की लड़खड़ा कर बीजेपी दफ्तर में ही गिर पड़े. वहां मौजूद लोगों ने उठाया. कमरे तक पहुंचाया. बात दफ्न कर दी गई. होती भी क्यूं ना? शराबबंदी पर पानी पी-पी कर कोसने वाली बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता का यूं लड़खड़ाना सियासत की जमीन के लड़खड़ा जाने जैसा ना बन जाता. खैर, कब्र तोड़कर अब यह छिपी बात बाहर आ गई है. मालूम पड़ा कि एक स्थानीय नेता मेजबान बने और राष्ट्रीय प्रवक्ता मेहमान. मयखाना जाने का प्रस्ताव ठुकरा ना सके. हमजोली हो गए. सियासी किस्सों के बीच जाम से जाम टकराया. अंधेरी रात में लौटे. बीजेपी कार्यालय की जमीन पर पैर जैसे ही रखा. बेसुध होकर गिर पड़े. वहां मौजूद चंद लोगों ने उठाकर कमरे तक पहुंचाया. थोड़ा होश में होते तो जौन एलिया की वह शायरी याद आ जाती. ” शब जो हमसे हुआ मुआफ करो, नहीं पी थी बहक गए होंगे” मसला फूटा तो इधर कांग्रेस ने चुटकी ले ली और पूछ बैठी, ”ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यों, क्या डेढ़ चुल्लू पानी से ईमान बह गया”.
‘कच्चा चिट्ठा’
किसी सिफारिश पर एक मोहतरमा को संविदा नियुक्ति दे दी थी. थे तो कलेक्टर, मगर डेली वेजेस पर नौकरी पाने वाली महिला से ना जाने कैसी नजदीकी बढ़ गई कि अपना मोबाइल फोन उसे गिफ्ट कर दिया. बस एक चूक हो गई. फोन से डाटा डिलीट करना भूल गए. कलेक्टर का सारा कच्चा चिट्ठा महिला के सामने खुल गया. कलेक्टर प्रमोटी आईएएस हैं, तकनीकी से दो चार करना सीख गए होते, तो हालात यूं ना बनते. वर्ना कौन समझदार अपने मोबाइल फोन पर अंतरंग चीजों को रखता होगा. बहरहाल, इधर कलेक्टर का तबादला हो गया. दूसरे जिले पहुंच गए. महिला वहीं रही. कलेक्टर ब्लैकमेल होने लगे. झिझक के साथ मदद की दरकार लिए उन्होंने अपने पुराने जिले के एसपी से सारा वाक्या साझा किया. बस गिफ्ट देने की जगह अपने मोबाइल फोन की चोरी की इत्तला दे दी. एसपी ने महिला को अपने दफ्तर बुलाया. कलेक्टर की मौजूदगी में मोबाइल फोन से सारा डाटा डिलीट करवाया गया और महिला को छोड़ दिया गया. पकड़कर रखते भी तो किस जुर्म में. कलेक्टर की फजीहत ना होती. बंद कमरे से बात शुरू हुई थी. बंद कमरे में खत्म हुई. इस घटना के चश्मदीद महज गिनती के रहे. खुद कलेक्टर, महिला, एसपी और चंद पुलिस वाले..कहते हैं कि ‘साहब की नींद आज भी इन ख्यालों में टूट जाती है कि उस महिला ने कहीं उनके कच्चे चिट्ठे का कोई दूसरा रिकार्ड ना रखा हो’….
‘पाठक’ का पाठ
बड़े-बड़े विभागों में ताजपोशी होने के बाद जे पी पाठक का पाठ अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि बदल दिए गए. पाठक को एक के बाद एक बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां दिया जाना भी हैरान करता गया और यूं अचानक हुई उनकी विदाई भी हैरान करने वाली रही. यकीनन इसके पीछे एक बड़ी कहानी रही होगी. जे पी पाठक का ओहदा तो किस्तों में बढ़ता गया, मगर उनकी जगह बिठाए गए महादेव कावरे की लाटरी खुल गई. पोर्टफोलियो मजबूत हुआ.आवास पर्यावरण का स्वतंत्र प्रभार, वाणिज्यिक कर (आबकारी), नगर तथा ग्राम निवेशक के आयुक्त, स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड का प्रभार. सब कुछ एक साथ मिल गया. इनमें से एक का मिलना भी बड़ा माना जाता था. कहा जाता रहा है कि पाठक किसी खास मकसद से बिठाए गए थे. उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे. बहरहाल सरकार है, अफसरों को ताश के पत्तों की तरह फेंटना बखूबी जानती है. सूबे में अफसरों को लेकर कहा भी जाने लगा है कि ‘चले तो चांद तक, वर्ना शाम तक’. सुबह का आर्डर ढलती शाम तक बदल दिया जाए कोई भी इसे प्रिडिक्ट नहीं कर सकता.
नेताओं का भौकाल !
छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा कोई स्थानीय नेता नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. भाजपा मोदी के चेहरे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही. राज्य के नेताओं का चेहरा आगे रखकर भाजपा ने साल 2018 का चुनाव लड़ा था. ऐतिहासिक हार भाजपा को मिली थी. भाजपा को इस बार कोई दमखम वाला नेता ढूंढने से नहीं मिला, इसलिए पीएम मोदी का चेहरा आगे रखा है. कैम्पेनिंग के लिए भाजपा ने नया नारा बुलंद किया है ” तैयारी पूरी है, भाजपा जरूरी है”. कैम्पेनिंग के पहले चरण में भाजपा ने कोई पाॅलिटिकल अटैक नहीं किया है, बल्कि मोदी सरकार की योजनाओं के जरिए छत्तीसगढ़ में किए गए कामों का प्रचार-प्रसार करने की रणनीति तैयार की है. मसलन धान की केंद्रीय खरीदी, किसान सम्मान निधि, पीएम कौशल योजना से युवाओं का प्रशिक्षण, खाद पर सब्सिडी, सौभाग्य योजना का प्रचार-प्रसार आदि. कैम्पेनिंग में सिर्फ मोदी की तस्वीर भाजपा ने लगाई है. टिकट वितरण में भी राज्य के दिग्गज नेता हाशिए पर रहे. पहली सूची का आलम यह रहा कि राज्य संगठन के बड़े-बड़े नेता जिन्होंने अपने चहेतों को बरसो से टिकट का लालीपाप थमा रखा था, उनसे वह मुंह चुराते दिखाई पड़े. दूसरी सूची का इंतजार है और अब ज्यादातर नेता किसी दावेदार का आवेदन तक नहीं ले रहे. कुछ नेता आवेदन लेकर अपना पूरा भौकाल बना रहे हैं. इधर कार्यकर्ता अब सब कुछ समझ रहा है..
‘वोट कटुआ’
विधानसभा चुनाव के नतीजों में आम आदमी पार्टी कहां होगी, यह फिलहाल मालूम नहीं, मगर अपनी पहली सूची में पार्टी ने यह बता दिया है कि कई सीटों पर इसके प्रत्याशी ठीक ठाक वोट जुटा ले जाएंगे. सबसे दिलचस्प नाम कवर्धा सीट से उतारे गए प्रत्याशी खड़गराज सिंह राज परिवार से आते हैं. एक खास इलाके में उनका अपना प्रभाव है. राजिम से तेजराम विद्रोही को टिकट दी गई है. तेजराम किसान संगठनों में सक्रिय रहे हैं. भानुप्रतापपुर से एक बार फिर पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी को उतारा है. अकतलरा में आनंद प्रकाश मिरी मैदान में हैं. कुल मिलाकर आम आदमी की पहली सूची के बाद राजनीतिक विश्लेषकों की टिप्पणी है कि इस चुनाव में नतीजे जैसे भी रहे आम आदमी पार्टी ‘वोट कटुआ’ पार्टी बनकर जरुर उभर सकती है. वैसे आम आदमी पार्टी की तैयारी कम नही है. दिल्ली-पंजाब की बड़ी टीम चुनाव के लिए तैनात है. ज्यादातर विधानसभा सीटों के लिए पार्टी ने इंचार्ज बिठाया है. लोकसभा के लिए अलग इंचार्ज है. चार-चार सह प्रभारी डेप्युट किया गया है. एक प्रभारी और फिर संगठन मंत्री. पूरी रिपोर्टिंग संदीप पाठक को हो रही है और पाठक के जरिए अरविंद केजरीवाल को….