कुमार इंदर, जबलपुर। विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव यह बात लगभग तय है कि भाजपा के एजेंडे में अब मुस्लिम वोटर कोई मुद्दा नहीं रहा, लेकिन उससे उलट कांग्रेस का अभी भी मुस्लिम मतदाता पर ही फोकस है। चाहे वह प्रत्याशियों के टिकट की बात हो या फिर संगठन की या फिर मुस्लिम वोटर की। कहीं ना कहीं कांग्रेस के सेंटर पॉइंट में मुस्लिम मतदाता रहा है। यही वजह है कि जहां बीजेपी ने इस बार जबलपुर में ब्राह्मण प्रत्याशी पर अपना दांव लगाया है तो वहीं कांग्रेस ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं।

जबलपुर लोकसभा सीट से आखिर कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा ? लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस जबलपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक लखन घनघोरिया को अपना उम्मीदवार बना सकती है। लखन घनघोरिया तीन बार के लगातार विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि राजनीतिक पंडित बताते हैं कि लखन को लोकसभा उम्मीदवार बनाने के पीछे कांग्रेस का मकसद इस पूर्व विधानसभा क्षेत्र में आने वाले 80 हजार से ज्यादा मुसलमान वोटर है।

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कांग्रेस कही न कहीं ये गणित बिठा रही है कि लखन घनघोरिया को टिकट देने से पूर्व विधानसभा क्षेत्र के 80 हजार से ज्यादा मुस्लिम वोट तो उन्हें मिलेंगे, साथ ही जबलपुर क्षेत्र में आने वाले मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन भी उन्हें मिलेगा। लिहाजा जबलपुर सीट भले ही कांग्रेस न जीते लेकिन हार का अंतर पिछली बार से कम हो सकता है।

बीजेपी का एजेंडा क्लियर

मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों में से जबलपुर संसदीय सीट को भी खास माना जाता है। जबलपुर संसदीय क्षेत्र अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए खास पहचान रखता है। जबलपुर लोकसभा सीट को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन पिछले करीब 3 दशक से भारतीय जनता पार्टी ने इसे अपने सबसे मजबूत किले के रूप में तब्दील कर लिया है। प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से एक जबलपुर की लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने आशीष दुबे को इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया किया है।

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भाजपा का मजबूत गढ़ बन चुका है जबलपुर

जबलपुर लोकसभा सीट पर पिछले 28 सालों से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। 1996 से लेकर अब तक लगातार भारतीय जनता पार्टी के ही प्रत्याशी की जीत इस सीट से होती रही है। 1996 और 98 में भाजपा से बाबूराव परांजपे लोकसभा के सांसद बने थे, उसके बाद 1999 में जयश्री बनर्जी यानी कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सास यहां से सांसद चुनकर संसद पहुंची थी।

इसके बाद साल 2004 से लेकर 2024 अब तक यहां पर मोहन यादव कैबिनेट के लोक निर्माण मंत्री और जबलपुर पश्चिम से विधायक राकेश सिंह लगातार जीत हासिल करते आ रहे हैं। शुरुआत में उन्होंने जबलपुर के पूर्व महापौर विश्वनाथ दुबे को शिकस्त दी तो उसके बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता रामेश्वर नीखरा को भारी मतों से पराजित किया। साल 2014 और 2019 में राकेश सिंह ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा को लाखों के अंतर से हराकर लगातार चार बार इस सीट से जीत हासिल की।

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जबलपुर लोकसभा सीट के कुल मतदाता

2011 की जनगणना के अनुसार, जबलपुर की कुल जनसंख्या 25,41,797 है, जिसमें से 59.74% शहरी और 40.26% ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। वहीं जबलपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाता करीब 17 लाख (17,11,683 ) हैं। बता दें कि इन मतदाताओं में, 8,97,949 पुरुष और 8,13,734 महिलाएं शामिल हैं। अनुसूचित जाति की जनसंख्या 14.3% है, जबकि अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 15.04% है।

मुसलमानों की कितनी हिस्सेदारी ?

2011 की जनगणना के मध्य प्रदेश की कुल आबादी में 6.57 प्रतिशत मुसलमान हैं। यानी राज्य में करीब 50 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के कुल जिलों में से 19 में मुसलमानों की आबादी 1 लाख से ज्यादा है। प्रदेश के भोपाल जिले की कुल आबादी में 22 प्रतिशत, तो बुरहानपुर जिले की कुल आबादी में 24 फीसदी मुसलमान हैं।

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2019 के लोकसभा चुनाव का ऐसा था रिजल्ट

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जबलपुर लोकसभा सीट पर निर्णायक जीत हासिल की थी। बीजेपी उम्मीदवार राकेश सिंह को 8 लाख 26 हज़ार 454 वोट मिले थे। जो कुल वोटों का 65.41% था। दूसरी ओर कांग्रेस के विवेक तन्खा को 3 लाख 71 हजार 710 वोट मिले, जो कुल वोटों का 29.42% था। चुनाव में राकेश सिंह को 4,54,744 वोटों से जीत मिली थी। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 69.46% रहा था।

विधानसभा चुनाव में शहर से कांग्रेस का सफाया

हाल ही में संपन्न हुए एमपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जबलपुर में शानदार प्रदर्शन किया। पार्टी ने 8 में से 7 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस का एकमात्र उम्मीदवार जबलपुर पूर्व से विधायक का चुनाव जीता।

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