सुधीर दंडोतिया, भोपाल। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दल बदल का खेल लगातार जारी है। एक के बाद एक नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे है। हाल ही में कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है। विधानसभा चुनाव के पहले भी कई नेता इधर से उधर हुए है। लेकिन इन नेताओं के दल बदल करने से कितना फायदा हुआ है ? कितने फायदे का सौदा रहा है ? आइए डालते है एक नजर…
MP में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा था। जिनमें से 7 नेताओं को विधानसभा के चुनावी रण में उतारा गया। इनमें से तीन को जीत भी मिली। वहीं भाजाप ने भी करीब 7 कांग्रेसी नेताओं को टिकट दिया था। जिनमें से सातों ने जीत हासिल की थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में दलबदल कर आने वालों को मध्य प्रदेश में मौका बहुत कम मिला है।
लोकसभा चुनाव में कई नेता ऐसे रहे, जिन्हें टिकट भी मिला और उन्हें जीत भी मिली। इनमें गुना से केपी सिंह यादव, होशंगाबाद से राव उदय प्रताप सिंह और भिंड से डॉ. भागीरथ प्रसाद शामिल हैं। ये तीनों नेता पहले कांग्रेस में थे और फिर भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी। इसे देखा जाए तो ये कहा जा सकता है कि दलबदल कर बीजेपी में आने वाले कांग्रेसी नेता फायदे में रहे हैं।
कांग्रेस छोड़ BJP में शामिल हुए ये नेता बाद में बने सांसद
गणेश सिंह
गणेश सिंह ने 1998 में जनता दल से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद बीजेपी में शामिल हुए और पहली बार 2004 में भाजपा के टिकट पर सतना से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। वे चार बार से चुनाव जीत रहे हैं। पार्टी ने उन्हें सतना से विधानसभा चुनाव लड़ाया, लेकिन कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा ने उन्हें हरा दिया। बीजेपी ने एक बार फिर उन्हें सतना लोकसभा सीट से टिकट दिया है।
दिलीप सिंह भूरिया
दिलीप सिंह भूरिया कांग्रेस के आदिवासी वर्ग के कद्दावर नेता रहे। रतलाम संसदीय क्षेत्र से 1980 से 1996 तक लगातार चुनाव जीते। फिर दल बदलकर BJP में चले गए। साल 2009 में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया से चुनाव हारे और 2014 में वापसी की। फिर कांतिलाल भूरिया को हराकर संसद पहुंचे।
हिमाद्री सिंह
साल 2016 में हिमाद्री सिंह ने शहडोल लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद साल 2019 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और वे सांसद बनी। बीजेपी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। पार्टी ने हिमाद्री सिंह को फिर से शहडोल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया हैं।
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राव उदय प्रताप सिंह
2008 में राव उदय प्रताप कांग्रेस के टिकट पर तेंदूखेड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। 2009 में कांग्रेस ने होशंगाबाद से लोकसभा का टिकट दिया और जीतकर वे संसद पहुंचे। इसके बाद दल बदलकर बीजेपी की सदस्यता ली और 2014 में पार्टी ने प्रत्याशी बनाया। 2019 में भी बीजेपी ने भरोसा जताया और रिकार्ड जीत हासिल की। साल 2023 में नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और फिर जीत हासिल की। वर्तमान में वे मोहन सरकार में स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री हैं।
केपी यादव
साल 2017 में केपी यादव मुंगावली उपचुनाव में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए। इसके बाद 2019 में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और वे सांसद बने। हालांकि उन्हें दोबारा अवसर नहीं मिला।
भागीरथ प्रसाद
भागीरथ प्रसाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी (IAS) रहे। उन्होंने साल 2009 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2014 में पार्टी ने फिर विश्वास जताया और प्रत्याशी बनाया लेकिन ऐनवक्त पर पाला बदलकर बीजेपी में चले गए। भाजपा में उन्हें टिकट भी मिल गया और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। हालांकि उन्हें दोबारा मौका नहीं मिला।
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