शब्बीर अहमद, भोपाल/छिंदवाड़ा. मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 का प्रचार इस वक्त पूरे शवाब पर है. बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया है. दिल्ली से लेकर एमपी के नेता धुआंधार प्रचार करते हुए नजर आ रहे हैं. बीजेपी इस बार पूरे दमखम से छिंदवाड़ा में कमल खिलाने के लिए पूरा जोर लगा रही है, वहीं दूसरी तरह कांग्रेस से अकेले कमलनाथ अपना गढ़ बचाने में जुटे हुए हैं. कमलनाथ का पूरा परिवार नकुलनाथ को दूसरी बार जिताने के लिए जुटा हुआ है. नाथ परिवार हर उस दर पर जा रहा है जहां से उसे वोट की उम्मीद है.
छिंदवाड़ा बीजेपी ने लगाया पूरा दम
2019 लोकसभा में बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए एमपी की 29 में से 28 सीटें जीती थी, सिर्फ एक मात्र सीट छिंदवाड़ा पर वो कब्जा नहीं कर पाई थी. नगर निगम और विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को यहां कुछ हासिल नहीं हुआ था. जिसके बाद से बीजेपी ने छिंदवाड़ा को नाक सवाल बना लिया था. छिंदवाड़ा में फतह हासिल करने के लिए बीजेपी ने कमलनाथ को कमजोर करने के लिए उनके करीबी रणनीतिकारों को पार्टी में शामिल करवाया. साथ ही मैनेजमेंट में मास्टर बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय को छिंदवाड़ा में कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी गई. बीजेपी के बड़े नेताओं के दौरे करवाए गए. जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर देश के गृहमंत्री अमित शाह का रोड़ शो करवाया गया. प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री खुद जनता के बीच जाएंगे.
कमलनाथ का इमोशनल कार्ड
छिंदवाड़ा में पूरी बीजेपी के सामने कांग्रेस से सिर्फ नाथ परिवार मुकाबला करता दिख रहा है. कमलनाथ, नकुलनाथ और उनकी पत्नी प्रिया नाथ चुनाव प्रचार के दौरान अपने दशकों के रिश्तों को याद दिला रहे हैं और बता रहे हैं कि पहले छिंदवाड़ा क्या था अब क्या है. नाथ परिवार जनता के बीच में पहुंचकर जो भाषण दे रहा है, उससे साफ समझ आ रहा है कि नाथ परिवार छिंदवाड़ा में इमोशनल कार्ड खेल रहा है. खासकर आदिवासी मतदाताओं को लेकर छिंदवाड़ा में करीब 33 फीसदी आदिवासी वोटर है. कमलनाथ जानते हैं कि ये तबका साथ रहा तो चुनाव में एक बार फिर नैया पार हो जाएगा.
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2019 ने बीजेपी की बांधी उम्मीदें
बीजेपी का पूरे मध्यप्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव में डंका बजा, लेकिन छिंदवाड़ा में कुछ हासिल नहीं हुआ. लेकिन 2019 के परिणाम ने बीजेपी को यहां उम्मीद किरण दिखा दी थी. बीजेपी को लगता है कि ब्रांड नरेन्द्र मोदी और राम मंदिर के दम पर वो यहां पर कब्जा कर सकती है. साथ ही 2019 में सत्ता होने के बावजूद कांग्रेस ये सीट मात्र 37 हजार से जीत पाई थी, जो अबतक का नाथ परिवार के जीत के आंकड़ों का सबसे कम स्कोर था.
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