उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने महानिदेशक मत्स्य का पद सृजित किया है. जिस पर आईएएस अधिकारी के. रविन्द्र नायक की तैनाती की गई है. निदेशक मत्स्य के बाद मंत्री संजय निषाद के विभाग में अब डीजी की नियुक्ति की गई है. इसे लेकर शासन ने आदेश जारी कर दिया है. बताया जा रहा है कि आगे सचिव स्तर के IAS की DG मत्स्य पद पर नियुक्ति होगी. DG की नियुक्ति से विभागीय मंत्री संजय निषाद भी हक्का-बक्का हो गए हैं. मंत्री संजय निषाद विभाग में DG मत्स्य का पद नहीं चाहते थे. मंत्री ने शासन को DG नियुक्ति पर पुन: विचार के लिए पत्र भी लिखा था.

मंत्री संजय निषाद लल्लूराम डॉट कॉम में खबर प्रकाशित होने के बाद पुनः पत्र लिख कर मुख्यमंत्री से इस पर विचार करने के लिए कहा है. संजय निषाद के मुताबिक निषादों के लिए इस तरह के पद की कोई आवश्यकता नहीं है.

बता दें कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा एवं मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजनान्तर्गत अन्तर्देशीय मत्स्य पालन, मछुआरों के कल्याण, नई तकनीकी आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, किसानों की आय में वृद्धि, स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने, निषादराज वोट योजना, मछुआ कल्याण कोष, ग्रामसभा एवं अन्य पट्टे के तालाबों में निवेश तथा मत्स्य बीज बैंक की स्थापना के लिए के लिए वित्तीय सहायता के रूप में महिला एवं अनुसूचित जाति/जनजाति को 60 प्रतिशत तथा अन्य सभी वर्ग को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. इसके जरिये सरकार मछुआ समुदाय को लाभान्वित करने में जुटी हुई है. हालांकि मुख्यमंत्री जिस जिले से आते है वहां पर निषाद वोटरों की बहुतायत है. इसलिए महानिदेशक मत्स्य का पद भी इस वोट बैंक को भाजपा से जोड़ने के लिए सृजन के तौर पर देखा जा रहा है.

इसे भी पढ़ें : प्रशासनिक तुरपाई या सरकारी योजनाओं के सहारे मछुआ समूह पर पकड़ बनाने की तरकीब?

उत्तर प्रदेश में भाजपानीत सरकार में निषाद पार्टी का भी अलायंस है. जबकि निषादों के रहनुमा और महामना के तौर पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद को जाना जाता है. लेकिन भाजपा खुद भी इस वोट बैंक पर अपनी पकड़ चाहती है. इसलिए वो निषादों को सरकारी योजनाओं का लाभ देकर समय समय पर उसकी समीक्षा कर वोट बैंक पर काबू करना चाहती है.