संभल हिंसा पर जमकर सियासत हो रही है. समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव इस मसले पर लगातार सरकार पर हमलावर हैं. इसी बीच एक बार फिर रामगोपाल यादव ने जांच पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि मुद्दा यह है कि क्या पीड़ित पक्ष अपना दे पाएगा? उनके इस बयान का सपा सांसद जियाउर रहमान बर्क ने समर्थन किया है.

क्या बोले रामगोपाल यादव?

दरअसल, संसद सत्र में शामिल होने पहुंचे सपा सांसद रामगोपाल यादव ने संभल हिंसा पर कहा कि “मुद्दा यह है कि क्या पीड़ित पक्ष अपना बयान दे पाएगा?…संभल में अधिकारियों द्वारा आतंक पैदा किया जा रहा है. अगर मौजूदा अधिकारियों का वहां से ट्रांसफर कर दिया जाए फिर कमेटी आएगी तो सही बात सामने आएगी. जब तक ये अधिकारी हैं तब तक लोग घर से ही नहीं निकलेंगे. जो निकलेंगे उन्हें धमका दिया जाएगा. बेहतर होगा कि DM, SP और CO को हटा दिया जाए…”

अधिकारियों को वहां से हटाना चाहिए

वहीं सपा नेता राम गोपाल यादव के संभल घटना पर दिए बयान पर सपा सांसद जियाउर रहमान बर्क ने कहा, “उन्होंने सही बात कही है. जिन लोगों ने माहौल खराब किया है और वही इसकी जांच करेंगे तो इंसाफ कहां से मिलेगा? वह लोग ज़िम्मेदार हैं उन्होंने पहले माहौल खराब किया अब वह वहां जाकर कार्रवाई और उत्पीड़न मचाना चाहते हैं. इसलिए मैं प्रोफेसर साहब की बात से सहमत हूं कि अधिकारियों को वहां से हटाना चाहिए…”

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर डिप्टी सीएम का बयान

संभल पथराव घटना पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “सरकार हमेशा कोर्ट के आदेश का पालन करती है. सपा लगातार कोर्ट का उल्लंघन करने वाला कार्य करती है. मैं कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं और सपा तथा उनके गुंडे-दंगाइयों, अपराधियों को हिदायत देता हूं कि माहौल खराब करने की कोशिश न करे.अन्यथा सपा डूब जाएगी. दूरबीन लेकर भी खोजेंगे तो पता नहीं चलेगा.”

SC ने निचली अदालत के फैसले पर लगाया रोक

गौरतलब है कि 19 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर को जामा मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष का दावा है कि जिस जगह पर शाही जामा मस्जिद मौजूद हैं, उस जगह पर श्री हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाया गया है. इसी के बाद मामला इतना बढ़ा कि कोर्ट तक पहुंच गया. जिसके बाद कोर्ट ने मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया था. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा है.

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