हरिद्वार. ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने हरिद्वार स्थित गंगा के चंडी घाट पर गांगा पूजन और गांगा आरती से पहले पत्रकारों से चर्चा की. जहां उन्होंने बताया कि लोगों में ऐसी धारणा बन गई कि चारों धामों के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल में श्रद्धालु दर्शन लाभ नहीं ले सकते हैं. इसी धारणा को तोड़ने के लिए पिछले साल लगभग पांच शताब्दी बाद शीतकालीन चारधाम मंगल यात्रा का आयोजन किया गया था. उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि उत्तराखंड राज्य सरकार ने भी शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए हैं.

शीतकाल में दर्शन से मिलेगा लाभ: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि जो पुण्य लाभ यात्रियों को ग्रीष्मकाल में चार धामों के दर्शन से मिलता है, उससे अधिक लाभ श्रद्धालुओं को शीतकालीन पूजा स्थलों में पूजा-अर्चना और दर्शन से प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए लगातार काम किए जा रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, ज्योतिर्मठ में शंकराचार्य गुरुकुलम की शुरुआत हो गई है. इसके अलावा चमोली जनपद में एक अन्य गुरुकुलम को शुरू किया जा रहा है. आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए अस्पताल का भूमि पूजन कर दिया गया है. जल्द ही अत्याधुनिक सुविधापूर्ण अस्पताल शुरु किया जाएगा.

चंडी घाट पर हुआ यात्रा का शुभारंभ

चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा का शुभारंभ चंडी घाट पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के सानिध्य में मां गंगा की विधिवत पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ. इसके बाद काशी से आए आचार्यों ने मां गंगा की दिव्य और भव्य आरती की. इस मौके पर अविमुक्तेश्वरानंद ने यात्रा में आए सभी यात्रियों को चार धामों का माहात्म्य बताया और यात्रा की मंगल कामना की.

10 राज्यों के तीर्थ यात्री यात्रा दल में शामिल

गौरतलब है कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के नेतृत्व में 16 दिसंबर से शुरु हुई चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा में देश के 10 से अधिक राज्यों के 150 से ज्यादा तीर्थ यात्री यात्रा दल में शामिल हैं. इसको लेकर यात्रा प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, दिल्ली, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से 150 से ज्यादा महिला और पुरुष तीर्थ यात्री इस यात्रा में शामिल हैं. यात्रा 16 दिसंबर से प्रारंभ होकर के 22 दिसंबर को हरिद्वार में संपन्न होगी.